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भ्रष्टाचार

गुर मनारि प्रिअ दइआर सिउ रंगु कीआ ॥
कीनो री सगल सींगार ॥
तजिओ री सगल बिकार ॥
धावतो असथिरु थीआ ॥

नयासर गाँव में एक दिन कुश्ती स्पर्धा का आयोजन किया गया । हर साल की तरह इस साल भी दूर -दूर से बड़े-बडें पहलवान आये । उन पहलवानो में ऐक पहलवान ऐसा भी था, जिसे हराना सब के बस की बात नहीं थी। जाने-माने पहलवान भी उसके सामने ज्यादा देर टिक नही पाते थे।

स्पर्धा शुरू होने से पहले मुखिया जी आये और बोले , ” भाइयों , इस वर्ष के विजेता को हम 3 लाख रूपये इनाम में देंगे। “

इनामी राशि बड़ी थी , पहलावन और भी जोश में भर गए और मुकाबले के लिए तैयार हो गए।कुश्ती स्पर्धा आरंभ हुई और वही पहलवान सभी को बारी-बारी से चित्त करता रहा । जब हट्टे-कट्टे पहलवान भी उसके सामने टिक ना पाये तो उसका आत्म-विश्वास और भी बढ़ गया और उसने वहाँ मौजूद दर्शकों को भी चुनौती दे डाली – ” है कोई माई का लाल जो मेरे सामने खड़े होने की भी हिम्मत करे !! … “

वही खड़ा एक दुबला पतला व्यक्ति यह कुश्ती देख रहा था, पहलवान की चुनौती सुन उसने मैदान में उतरने का निर्णय लिया,और पहलावन के सामने जा कर खड़ा हो गया।

यह देख वह पहलवान उस पर हँसने लग गया और उसके पास जाकर कहाँ, तू मुझसे लडेगा…होश में तो है ना?

तब उस दुबले पतले व्यक्ति ने चतुराई से काम लिया और उस पहलवान के कान मे कहा, “अरे पहलवानजी मैं कहा आपके सामने टिक पाऊगां,आप ये कुश्ती हार जाओ मैं आपको ईनाम के सारे पैसे तो दूँगा ही और साथ में 3लाख रुपये और दूँगा,आप कल मेरे घर आकर ले जाना। आपका क्या है , सब जानते हैं कि आप कितने महान हैं , एक बार हारने से आपकी ख्याति कम थोड़े ही हो जायेगी…”

कुश्ती शुरू होती है ,पहलवान कुछ देर लड़ने का नाटक करता है और फिर हार जाता है। यह देख सभी लोग उसकी खिल्ली उड़ाने लगते हैं और उसे घोर निंदा से गुजरना पड़ता है।

अगले दिन वह पहलवान शर्त के पैसे लेने उस दुबले व्यक्ति के घर जाता है,और 6लाख रुपये माँगता है.
तब वह दुबला व्यक्ति बोलता है , ” भाई किस बात के पैसे? “

“अरे वही जो तुमने मैदान में मुझसे देने का वादा किया था। “, पहलवान आश्चर्य से देखते हुए कहता है।
दुबला व्यक्ति हँसते हुए बोला “वह तो मैदान की बात थी,जहाँ तुम अपने दाँव-पेंच लगा रहे थे और मैंने अपना… पर इस बार मेरे दांव-पेंच तुम पर भारी पड़े और मैं जीत गया। “

मित्रों , ये कहानी हमें सीख देती है कि थोड़े से पैसों के लालच में वर्षों के कड़े प्ररिश्रम से कमाई प्रतिष्ठा भी कुछ ही पलों में मिटटी मे मिल जातीं है और धन से भी हाथ धोना पड़ता है। अतः हमें कभी अपने नैतिक मूल्यों से समझौता नहीं करना चाहिए और किसी भी तरह के भ्रष्टाचार से बच कर रहना चाहिए।

निरोगी

दुख सुख करते हुकमु रजाइ ॥ भाणै बखस भाणै देइ सजाइ ॥
दुहां सिरिआं का करता आपि ॥ कुरबाणु जांई तेरे परताप ॥

काफी समय से दादी की तबियत खराब थी . घर पर ही दो नर्स उनकी देखभाल करतीं थीं . डाक्टरों ने भी अपने हाथ उठा दिए थे और कहा था कि जो भी सेवा करनी है कर लीजिये . दवाइयां अपना काम नहीं कर रहीं हैं .

पति पत्नी ने काम में हाथ बटाने के लिए घर में बच्चों को होस्टल से बापिस बुला लिया . दोनों पति पत्नी काम पर चले जाते . दोनों बच्चे बार-बार अपनी दादी को कमरे में देखने जाते . दादी ने आँखें खोलीं तो बच्चे दादी से लिपट गए .

‘दादी ! पापा कहते हैं कि आप बहुत अच्छा खाना बनाती हैं . हमें होस्टल का खाना अच्छा नहीं लगता . क्या आप हमारे लिए खाना बनाओगी ?’

नर्स ने बच्चों को डांटा और बाहर जाने को कहा . अचानक से दादी उठी और नर्स पर बरस पड़ीं .

‘आप जाओ यहाँ से . मेरे बच्चों को डांटने का हक़ किसने दिया है ? खबरदार अगर बच्चों को डांटने की कोशिश की !’

‘कमाल करती हो आप . आपके लिए ही तो मेने बच्चों को मना किया . बार-बार आते है आपको देखने और डिस्टर्ब करते है . आराम भी नहीं करने देते

‘अरे! इनको देखकर मेरी आँखों और दिल को कितना आराम मिलता है तू क्या जाने ! ऐसा कर मुझे जरा नहाना है . मुझे बाथरूम तक ले चल .’

नर्स हैरान थी .

कल तक तो दवाई काम नहीं कर रहीं थी और आज ये चेंज .

सब समझ के बाहर था जैसे . नहाने के बाद दादी ने नर्स को खाना बनाने में मदद को कहा . पहले तो मना किया फिर कुछ सोचकर वह मदद करने लगी .

खाना बनने पर बच्चों को बुलाया और रसोई में ही खाने को कहा .

‘दादी ! हम जमीन पर बैठकर खायेंगे आप के हाथ से, मम्मी तो टेबल पर खाना देती है और खिलाती भी नहीं कभी .’

दादी के चेहरे पर ख़ुशी थी . वह बच्चों के पास बैठकर उन्हें खिलाने लगी .

बच्चों ने भी दादी के मुंह में निबाले दिए . दादी की आँखों से आंसू बहने लगे .

‘दादी ! तुम रो क्यों रही हो ? दर्द हो रहा है क्या ? मैं आपके पैर दबा दूं .’

‘अरे! नहीं, ये तो बस तेरे बाप को याद कर आ गए आंसू, वो भी ऐसे ही खाताा था मेरे हाथ से .

पर अब कामयाबी का भूत ऐसा चढ़ा है कि खाना खाने का भी वक्त नहीं है उसके पास और न ही माँ से मिलने का टैम

‘दादी ! तुम ठीक हो जाओ, हम दोनों आपके ही हाथ से खाना खायेंगे .’

‘और पढने कौन जाएगा ? तेरी माँ रहने देगी क्या तुमको ? ‘

‘दादी ! अब हम नहीं जायेंगे यहीं रहकर पढेंगे .’ दादी ने बच्चों को सीने से लगा लिया .

नर्स ने इस इलाज को कभी पढ़ा ही नहीं था जीवन में .

अनोखी दवाई थी अपनों का साथ हिल मिल कर रहने की.

दादी ने नर्स को कहा:-

आज के डॉक्टर और नर्स क्या जाने की भारत के लोग 100 साल तक निरोगी कैसे रहते थे।

छोटासा गांव सुविधा कोई नही
हर घर मे गाय
खेत के काम
कुंए से पानी लाना
मसाले कूटना, अनाज दलना
दही बिलोना मख्खन निकलना

एक घर मे कमसे कम 20 से 25 लोगों का खाना बनाना कपड़े धोना, कोई मिक्सी नही, नाही वॉशिंग मशीन या कुकर
फिर भी जीवन मे कोई रोग नही
मरते दिन तक चश्मे नही और दांत भी सलामत
ये सभी केवल परिवार का प्यार मिलने से होता था।
नर्स तो यह सुनकर हैरान रह गई और दादी दूसरे दिन ठीक हो गई।

परिवार की एकता

खोजत खोजत मारगु पाइओ साधू सेव करीजै ॥
धारि अनुग्रहु सुआमी मेरे नामु महा रसु पीजै ॥

एक बार एक सुनार से लक्ष्मी जी रूठ गई।

उन्होंने जाते वक्त सुनार से बोला मैं जा रही हूँ और मेरी जगह नुकसान (हानि) आ रहा है, तैयार हो जाओ।

लेकिन मै तुम्हे अंतिम भेट जरूर देना चाहती हूँ मांगो जो भी इच्छा हो।

सुनार बहुत समझदार था उसने विनती की नुकसान आए तो आने दो लेकिन उससे कहना की मेरे परिवार में आपसी प्रेम बना रहे बस मेरी यही इच्छा है। लक्ष्मी जी ने तथास्तु कहा और चली गईं।

कुछ दिन के बाद :-

सुनार की सबसे छोटी बहू खिचड़ी बना रही थी। उसने नमक आदि डाला और अन्य काम करने लगी। तब दूसरे लड़के की बहू आई और उसने भी बिना चखे नमक डाला और चली गई।

इसी प्रकार तीसरी, चौथी बहुएं आई और नमक डालकर चली गई फिर उनकी सास ने भी ऐसा किया।

शाम को सबसे पहले सुनार आया। जैसे ही पहला निवाला मुह में लिया, देखा बहुत ज्यादा नमक है। लेकिन वह समझ गया नुकसान (हानि) आ चुका है। चुपचाप खिचड़ी खाई और चला गया।

इसके बाद बङे बेटे का नम्बर आया। पहला निवाला मुह में लिया। पूछा पिता जी ने खाना खा लिया क्या कहा उन्होंने ?

सभी ने उत्तर दिया- “हाँ खा लिया, कुछ नही बोले।”

अब लड़के ने सोचा जब पिता जी ही कुछ नही बोले तो मै भी चुपचाप खा लेता हूँ।

इस प्रकार घर के अन्य सदस्य एक -एक आए। पहले वालो के बारे में पूछते और चुपचाप खाना खा कर चले गए।

रात को नुकसान (हानि) हाथ जोड़कर सुनार से कहने लगा – “मै जा रहा हूँ।”

सुनार ने पूछा – क्यों ?

तब नुकसान (हानि ) कहता है, “आप लोग एक किलो तो नमक खा गए”

लेकिन बिलकुल भी झगड़ा नही हुआ। मेरा यहाँ कोई काम नहीं।”

झगड़ा कमजोरी, हानि, नुकसान की पहचान है।
जहाँ प्रेम है, वहाँ लक्ष्मी का वास है।

सदा प्यार -प्रेम बांटते रहे। छोटे -बङे की कदर करे ।
जो बङे हैं, वो बङे ही रहेंगे ।
चाहे आपकी कमाई उसकी कमाई से बङी हो।

परिवार की एकता और प्यार ही खुशी की सबसे बड़ी पूंजी है।मिल जुलकर रहे ।एक दूसरे के प्रति प्रेम सौहार्द बनाए रखे

मां

मिटे कलेस त्रिसन सभ बूझी पारब्रहमु मनि धिआइआ ॥
साधसंगि जनम मरन निवारे बहुरि न कतहू धाइआ ॥

शहर में मौसम आज कुछ ज्यादा ही खराब था,कड़कड़ाती बिजली और तेज गरजते बादलों के साथ पिछले दो घंटे से झमाझम होती बारिश की वजह से शहर की सड़कों पर हर तरफ पानी ही पानी दिखाई पड़ रहा था,

आमतौर पर तो इस शहर का बाजार तकरीबन रात दस बजे तक खुला रहता था, पर आज घनघोर बारिश और खराब मौसम के चलते दुकानों के शटर वक्त से पहले ही गिर चुके थे,

साथ ही शहर के कई हिस्सों में बिजली भी गुल थी,जिस वजह से इस बरसते हुए पानी के बीच सड़क पर कुछेक चार पहिया वाहनों के अलावा सिर्फ कुछ जरूरत मंद एवम नियमित दिनचर्या वाले लोग ही आते जाते दिखाई पड़ रहे थे, वह भी छाता के साथ।

इन्हीं चंद चार पहिया वाहनों में एक सरकारी कार शहर के नए पुलिस कप्तान आनंद दीवान की भी थी, दीवान का लखीमपुर जिले से दो दिन पहले ही इस शहर में स्थानांतरण हुआ था,और आज ही उन्होंने पदभार ग्रहण किया था,दिन भर शहर के कई थानों का भ्रमण और दफ्तर का काम निपटाने के बाद पिछली सीट पर बैठे एसपी साहब अब गहरी थकान लिए हुए अपने सरकारी आवास की ओर जा रहे थे,कार की ड्राइविंग सीट पर उनका सरकारी ड्राइवर एवम बगल वाली सीट पर गनर बैठे हुए थे,जबकि अत्यधिक थकान के कारण इस दौरान वह बीच बीच में हल्की झपकी भी ले रहे थे।

तभी अचानक से ब्रेक लगाने की एक जोरदार आवाज के साथ एक झटके में कार रुक गई, एसपी साहब का सिर कार की अगली सीट से टकराते टकराते बचा।

“क्या हुआ मनोहर? ऐसे ब्रेक क्यों लगाया?”

एसपी साहब ने अपने ड्राइवर पर झल्लाते हुए उससे पूंछा।

“सॉरी सर! पर कार के सामने अचानक से कोई आ गया था।”

कार को सड़क पर ही रोक कर गनर नीचे उतरा,तो उसने देखा कि लगभग पैंतीस साल की एक महिला उनकी कार ले बोनट के ठीक सामने बदहवाश सी खड़ी है, तेज बारिश के कारण उसका भीगा हुआ चेहरा एकदम साफ तो नहीं दिख रहा था,पर पास जाने पर गनर ने देखा कि वह महिला बेहद परेशान दिखाई पड़ रही थी।

“हैलो! मैडम! यही गाड़ी मिली थी क्या सुसाइड करने के लिए आपको? अभी एक्सीडेंट हो जाता तो कल मीडिया में हम पुलिस वालों और हमारे साहब को विलेन बना कर दिखाया जाता, चलिए ,हटिए सामने से।”

गनर की बात सुनकर वह महिला करीब आ गई, और उसने लगभग गिड़गिड़ाते हुए बताया कि वह जानबूझ के इस गाड़ी के सामने आई है, वह एसपी साहब से मिलना चाहती है,

महिला की बात सुनकर गनर ने उसे सुबह ऑफिस आने को कहा, पर वह लगभग रोते हुए हाथ जोड़कर एसपी साहब से मिलने की गुहार लगाने लगी।

एसपी आनंद दीवान एक बेहतरीन और होनहार पुलिस अधिकारी थे,उन्हें जनता की उतनी ही चिंता होती थी जितनी की अपने परिवार की,

कार के बाहर महिला का हंगामा होते देख वह स्वयं भी कार से उतर आए,

हालांकि कार में इस वक्त छाता मौजूद नहीं था,पर फिर भी उन्होंने बारिश में भीगना मुनासिब समझा।

एसपी साहब को अपने सामने देख कर वह महिला बेहद भावुक हो गई,और जोरों से बिलखते हुए उसने अपनी करुणामयी समस्या उन्हें सुनाई,

महिला ने बताया कि वह पास की ही गली में स्थित एक फ्लैट में रहती है, उसका पति अत्यधिक शराब पीता है,साथ ही उसका किसी दूसरी महिला से अफेयर भी है,उनका एक सात साल का बेटा है,

आज उनके पति ने उस दूसरी महिला के साथ मिलकर उसे और उसके बेटे को रास्ते से हटाने की योजना बनाई,

उन्होंने फ्लैट के ही एक बंद कमरे में उसे और उसके बेटे को बंद करके किसी जहरीली गैस का रिसाव सारे कमरे में कर दिया है,जिससे कि दोनों की मौत एक हादसा लगे,अंतिम समय में किसी तरह से खिड़की के रास्ते वह तो बाहर निकल कर भाग आई, पर उसका बेटा अभी भी उसी कमरे के अंदर बंद है, अगर उसे जल्दी नहीं बचाया गया तो उसकी जान चली जाएगी।

महिला की बात सुनकर एस पी साहब दंग रह गए,बेहद संवेदनशील मामला था, महिला को साथ लेकर वह उसके बताए गए पते पर अपने गनर सहित लगभग दौड़ते हुए गए,

इस दौरान उन्होंने क्षेत्रीय पुलिस को भी सूचना दे दी थी,जल्दी ही वह उस फ्लैट तक भी पहुंच चुके थे, फ्लैट का दरवाजा बाहर से लॉक था,

उन्होंने किसी तरह से उसे तोड़कर अंदर मौजूद बंद कमरे को जैसे ही खोला, उनका दम घुटने लगा,

अंदर सच में ही जहरीली गैस का रिसाव हुआ था, आनंद दीवान और उनका गनर अपनी नाक पर रूमाल रख कर तेजी से अन्दर गए,

वहां एक कोने में फर्श पर उन्हें एक महिला पड़ी हुई दिखाई दी,महिला की गोद में ही एक बच्चा था,जिसने अपने चेहरे पर मास्क लगा रखा था,महिला ने उस बच्चे का सिर अपने आंचल में ढक रखा था,शायद इस कमरे में एक ही मास्क मौजूद रहा होगा जिसे इस महिला ने अपने बेटे को पहना दिया होगा,और खुद बिना मास्क के ही जहरीली गैस से संघर्ष कर रही होंगी

एसपी साहब ने दोनो को खींच कर कमरे से बाहर निकाला,

बच्चा शायद मास्क लगाए हुए था इसलिए उसकी नब्ज अभी चल रही थी,पर उसके साथ जो महिला थी वह मृत हो चुकी थी,

पर जैसे ही आनंद दीवान का ध्यान महिला के चेहरे पर गया, उसे एक जोर का झटका लगा,

सिर्फ आनंद दीवान ही नहीं उनका गनर भी बुरी तरह से चौंक गया था।

आखिर ऐसा कैसे संभव था?

यह मृत महिला वहीं थी जो उनकी गाड़ी की सामने आई थी,और उन्हें सारा मामला बता कर यहां तक ले कर आई थी, सिर्फ चेहरा ही नहीं इस महिला ने भी हुबहू वैसी ही लाल साड़ी पहन रखी थी,जैसी की उसने पहनी थी।

इस दौरान क्षेत्रीय पुलिस और एंबुलेंस भी आ चुकी थी, एसपी साहब तेजी के साथ दौड़ते हुए अपनी फूलती सांसों के साथ उस फ्लैट से बाहर निकले, और चारों ओर उस महिला को तलाशने लगे जो उन्हें यहां तक लेकर आई थी,

पर वहां दूर दूर तक कोई भी नहीं था।

कुछ ही देर बाद बच्चे को एंबुलेंस से अस्पताल ले जाया जा रहा था,जबकि उस महिला के मृत शरीर को पोस्टमार्टम हाउस।

उसे ले जाते वक्त स्तब्ध से खड़े एस पी साहब की नजरें उस महिला के चेहरे पर ही टिकी थी, एक बेहद गहरा सुकून उसके चेहरे पर दिखाई दे रहा था, शायद वह सुकून अपने बेटे को बचा पाने का था, भले ही इस प्रयास में उसकी खुद की जान चली गई।

ऐसा बलिदान ,ऐसी निस्वार्थ ममता एक मां के अलावा भला इस संसार में दूसरा कौन कर सकता है?

मृत्यु के बाद भी जिसकी ममता,जिसका दुलार अपनी संतान के लिए जीवित रहता हो,उस मां की तुलना भला कौन कर सकता है?

उस मां ने अपने जीवन के अंतिम क्षणों में भी खुद की चिंता किए बिना,अपने बेटे को जीवनदान देने का पूरा प्रयास किया था,उसे बचाने की कोशिश में वह खुद तो चल बसी थी,मगर उसके दिल में मौजूद बेटे को बचाने की ममतामयी जिद उसकी मृत्यू के बाद भी जिंदा थी,

और उसी जिद के चलते शरीर छोड़ चुकी उस मां की आत्मा का भी बस एक ही लक्ष्य था,बेटे को बचाना।

ममता का ऐसा अनोखा किस्सा अपनी आंखों से सजीव देखकर एसपी आनंद दीवान की आंखें अगले कई दिनों तक आंसुओ में डूबी रही,उन्होंने उस महिला के हत्यारे को बहुत जल्द जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा कर अपना कर्तव्य तो पूरा किया ही,

साथ ही उस मासूम बच्चे के स्वस्थ होते ही उसे गोद लेकर एक मां की तड़पती हुई आत्मा को भी अथाह सुकून देकर उसे भी मोक्ष की प्राप्ति दिलाने में मदद की।

सच्चा योद्धा

उन कै संगि मोहि प्रभु चिति आवै संत प्रसादि मोहि जागी ॥
सुनि उपदेसु भए मन निरमल गुन गाए रंगि रांगी ॥

यह घटना सन् 1492 की है, जब कोलम्बस अपनी महान यात्रा पर निकलने वाला था। चारों तरफ नाविकों में हर्षोल्लास का वातावरण था, परन्तु गांव का ही एक युवक फ्रोज बहुत ही डरा हुआ था और वह नहीं चाहता था कि कोलम्बस और उनके साथी इस खतरनाक और दुस्साहसी यात्रा पर मिशन पर जायें ? इसलिए वह नाविकों के मन में समुद्री यात्रा के प्रति डर उत्पन्न कर देना चाहता था।

एक बार फ्रोज की मुलाकात पिजारो नाम के साहसी युवा नाविक से हुई। फ्रोज ने उससे मिलते ही सोचा कि यह एक अच्छा मौका है ।पिजारो को डराया जाए और उसने इसी नियत से पिजारो से पूछा

तुम्हारे पिता की मृत्यु कहां हुई थी ?

दुखी स्वर में पिजारो ने कहा-समुद्री तूफान में डूबने के कारण।

और तुम्हारे दादाजी की ?

वे भी समुद्र में डूबने से मरे।

और तुम्हारे परदादाजी, वे कैसे मरे हैं?

उनकी मौत भी समुद्र में डूबने से हुई थीं।

अफसोस जाहिर करते हुए पिजारो ने जवाब दिया। इस पर हंसकर ताना मारते हुए फ्रोज ने कहा- “हद है दिया। जब तुम्हारे सारे पूर्वज समुद्र में डूबकर मरे, तो तुम क्यों मरना चाहते हो ?”
मुझे तो तुम्हारी बुद्धि पर तरस आता है। कि इतना कुछ होने के बावजूद तुम नहीं सुधरे ?

पिजारो को फ्रोज की गलत मंशा को भांपते देर न लगी। उसने तुरन्त सम्भलते हुए फ्रोज से पूछा- अब तुम बताओ कि तुम्हारे पिताजी कहां मरे ?

बहुत आराम से, अपने बिस्तर पर। मुस्कुराते हुए फ्रोज ने कहा।

और तुम्हारे दादा जी ?

वे भी अपने पलंग पर मरे

और तुम्हारे परदादा जी ?

प्रायः उसी तरह अपनी खाट पर। गर्व से भरकर फ्रोज ने उत्तर दिया।

अब तंज कसते हुए पिजारो ने कहा अच्छा, जब तुम्हारे समस्त पूर्वज बिस्तर पर ही मरे, तो फिर तुम अपने बिस्तर पर जाने की मूर्खता क्यों करते हो? क्या तुम्हें डर नहीं लगता ? इतना सुनते ही फ्रोज का खिला हुआ चेहरा उतर गया।

पिजारो ने उसे समझाया “मेरे मित्र, इस दुनिया में कायरों के लिए कोई स्थान नहीं है। साहस के साथ प्रतिकूल स्थितियों में जीना जिंदगी कहलाती है।”

कितनी बड़ी समस्या क्यों न हो जब तक हम डट कर उसका सामाना नहीं करते तब तक हम कोई भी उपलब्धि हांसिल नहीं कर सकते। आप जितना आगे बढ़ेंगे आपका समस्याओं से सामना उतना ही होगा। समस्याओं का सामना करे से तो वो छोटी हो जाती हैं और डर जाने से बड़ी हो जाती है।

बोझ

किआ तू सोचहि किआ तू चितवहि किआ तूं करहि उपाए ॥
ता कउ कहहु परवाह काहू की जिह गोपाल सहाए ॥

मैं हारा थका बेमन सा आज ऑफिस से घर आया ही था की मेरी नजर सामने किचन से आती मेरी पत्नी पर पड़ी , वो देखने से ही काफी उखड़ी उखड़ी लग रही थी !! उसकी मनोदशा देखते ही मैं समझ गया था की जरूर ही कोई तो बात है , इसलिए मिनाक्षी इतनी रूखी रूखी सी लग रही है !! मैंने हाथ मुँह धोये हुए थे इसलिए मैंने उससे तौलिया माँगा , उसने बिना कुछ बोले मुझे तौलिया ला कर दे दिया !!

मैंने उसे कंधे पर हाथ रखते हुए पूछा ” मिनाक्षी !! क्या बात है आज तुम कुछ उखड़ी उखड़ी सी लग रही हो ? ” तो उसने मुझे खा जाने बाली नजरो से देखा और भड़कते हुए बोली ” आपको क्या है , फिर चाहे बेटी ट्युसन से फीस न देने की बजह से बेज्जत करके भगा दी जाए ,या फिर बेटे पर स्कूल ड्रेस के जूते न होने की बजह से उसके स्कूल की फूटबाल टीम में खिलाने से मना कर दिया जाए !! आपको क्या ?? आपको तो बस सुबह ९ बजे जाने और शाम को ८ आने और फिर चद्दर तान के सो जाने के अलावा एक पल की भी चिंता नहीं है , और न मेरा कोई ख्याल डॉक्टर ने पिछले महीने ही दवाई कराने को कहा था , नहीं तो मर्ज कभी भी अपने पैर जरूरत से ज्यादा पसार सकती है !! कभी तुमने ध्यान से देखा है मेरे चेहरे की ओर , ये झुर्रियां , बेउम्र पकते हुए बाल , जवानी में ही बुढ़िया बनती जा रही हूँ , एक पैसे की दवा नहीं नसीब नहीं है मुझे !! , ये सब तो छोडो , गर्मी में बच्चे तपते रहते है , एक पुराना कूलर लेने तक की हिम्मत नहीं हो रही है तुम्हारी !! ”

मैं बैड पर बैठा नजरे झुकाये अपनी नाकामी पर शर्मशार हो रहा था , बीवी बच्चो की परिबरीश और उनकी जरूरतों का ध्यान रखना मेरा कर्तव्य है पर क्या करू ?? ये मेरा दुर्भाग्य ही तो है , कहने को तो देश तरक्की कर रहा है , लोग खुश है पर मैं कैसे कह पाऊ की मैं बढ़ती महगाई और बेरोजगारी की बजह से दिन व दिन जरूरतों के बोझ तले दबता जा रहा हूँ !! बिजली के बिल से लेकर घर के राशन पानी तक की कीमते आसमान छू चुकी है , और पगार बढ़ाने के नाम पर दफ्तर में धमकी दी जाती है , नौकरियां कभी भी जा सकती है , काम नहीं है ऑफिस में , इसलिए वही पुरानी पगार पर काम करना मजबूरी बन चुकी है || ऐसे में क्या ही करू ??

मैं बैठा बैठा अपनी परिस्थिति से दो चार हो ही रहा था की , की घर की दरवाजे पर किसी के आने की दस्तक हुई !! बच्चो ने गेट खोल कर देखा तो पिताजी थे !! अपने दादाजी को देख के बच्चे तो खुशी से उछल गए , लेकिन मेरी सांसे तेज हो गयी !! पत्नी ने फिर से मेरी तरफ ऐसे देखा जैसे मानो वो कह रही हो , अपना पेट पालने के लिए तो अपनी आतें और गुर्दे गिरवी रखने के दिन आ गए है , अब ऐसे में पिताजी अकस्मात आये है तो जरूर ही कोई आर्थिक समस्या को लेकर ही आये होंगे !!

मैंने भी नजरे चुराते हुए एक बार मिनाक्षी की ओर देखा , पर कुछ कह पाने की स्थिति में नहीं था , इसलिए जल्दी से उठ के पिताजी के पास गया और नजरे चुराते हुए उनके चरण स्पर्श कर उन्हें बैठने को कहा !!

मिनाक्षी ने भी उन्हें चरणवन्दन किया और खाना खाने के लिए कहते हुए किचन में चली गयी !! अब मैं और भी अकेला महसूस कर रहा था , मिनाक्षी तो मुँह छिपा के किचन में जा चुकी थी , मुझे डर था पापा कही पैसे की कोई बात न कर दे !! इसलिए मैं जल्दी से जल्दी बच्चो को बुला के उनके पास किया और खुद बापस कमरे में चला गया !! पिताजी भी मुझे जाते हुए देख रहे थे !!

मैं किचन में आया तो मिनाक्षी ने कहा ” पिताजी जरूर ही किसी आर्थिक मदद की आस करके आये होंगे !! ऐसे में इन्हे हम ही याद आते है , बड़े बाले भाई साहब को कोई याद नहीं करता , देने के नाम पर उनका नंबर आता है और जब कोई जरूरत हो तो सब लोग हमारे यहाँ आ जाते है !! वैसे तो ये शव्द मिनाक्षी कभी नहीं बोलती पर इस बार उसके घर की तंगहाली इस लेवल पर थी की उसे मरने के लिए अगर जहर खरीदना हो तो उसके लिए भी पैसे का इंतजाम न के बराबर ही था || एक तरह मिनाक्षी लगातार मुझे बोले जा रही थी और दूसरी ओर मैं था जो कुछ पाने में समर्थ नहीं था !! अंततः मैंने मिनाक्षी को चुप रहने के लिए कहा ” तुम शांत हो जाओ , कुछ भी करके कल मैं तुम्हारी दवाई और बच्चो की जरूरत का सामान ला दूंगा .. पर अभी के लिए पिताजी का मान रखो .. उनके सामने घर में कलेश करने का मतलब उनकी मान मर्यादा के खिलाफ है !! ”

मिनाक्षी समझदार थी पर उस पर आर्थिक तंगी का बुखार चढ़ा हुआ था इसलिए वो बेकाबू थी !! ” कहाँ से लाओगे ?? भीख मांग के या फिर खुद को गिरवी रख के ?? ”

” ये मेरा काम है क्या करुगा , क्या नहीं !! तुम बस अभी भगवान के लिए शांत हो जाओ !! ” अब मिनाक्षी शांत हो गयी , वो खाना लेकर टेबल पर लगा देती है !! अब पापा और बच्चों सहित एक साथ खाना खाने लगते है , खाना खाते टाइम पापा ने एकाएक मेरी ओर देखा और पास बैठने को कहा | मेरी सांसे और दिल दोनों ही तेज हो गया , कही पिताजी कोई मांग न कर दे क्युकी मेरे पास अभी देने के नाम पर केबल वक्त ही था , उसके अलावा मैं जुवान भी नहीं दे सकता था ||

पिताजी बोले ” देखो , अभी काम जोर चल रहा है , खेती का काम बहुत है , इसलिए अभी की ही गाडी से बापस जाना पड़ेगा !! मैं यहाँ रुक नहीं सकता हूँ !! तुम्हारी माँ बहुत चिंता कर रही थी , पिछले कुछ महीनो से तुम फ़ोन और बात बहुत कम कर रहे हो , और ऐसा तुम तभी करते हो जब तुम किसी परेशानी में होते हो ? ये तुम्हारी बचपन की आदत है , इसलिए माँ के जोर और मुझे मुन्ना और मुन्नी की याद सता रही थी इसलिए मैं आ गया .. ”

यहाँ तक तो ठीक था , अब मैं अवाक बैठा था की अब पापा क्या कहने बाले है , मैंने एक नजर मिनाक्षी को देखा तो वो किचन की चौखट पकडे पापा की आड़ किये हुए खड़ी थी , और पापा आगे क्या कहने बाले है जानने के लिए उत्सुक हो रही थी || लेकिन आगे पापा ने अभी कुछ कहा नहीं बस खाना निपटाया और मुँह हाथ धोये !!

अब पापा ने अपने कुर्ते की जेब में हाथ डाला और एक नोटों की गड्डी निकाली और मेरे ओर बढ़ा दी !! ये देख कर मैं अवाक और सकते में आ गया !! एक पल के लिए मैं स्तब्ध और निःशव्द ही खड़ा रहा !!

पिताजी ने कहा ” अरे पकड़ो भी भाई !! अब इतने बड़े भी नहीं हो गए हो की हमारी दी हुई आशिर्बाद को ग्रहण न कर सको !! , वैसे भी इस बार फसल अच्छी हो गयी थी ! इसलिए कोई दिक्कत नहीं आई , अब उन्होंने मिनाक्षी की ओर इशारा करते हुए कहा ” बहू का और बच्चो का अच्छे से ध्यान रखो , देखो कितनी कमजोर हो रही है .. और अपना भी !! ” उन्होंने पैसे मेरे हाथ में रख दिए !!

मेरी आंखे भर आई थी , और वो बचपन के दिन याद आ गए जब पापा हमे स्कूल जाते वक्त चार आने ऐसे ही हाथ फ़ैलाने पर रख दिया करते थे , पर बस अंतर इतना होता था उस वक्त मेरी आंखे झुकी हुई नहीं बल्कि प्यार और दुलार से ऊँची होती थी !! फिलहाल मिनाक्षी और मैं दोनों ही गलत साबित हो चुके थे !! इसलिए खुद की नजरे खुद से ही नहीं मिल पा रही थी !!

सच में बच्चो के लिए माँ बाप बोझ हो सकते है , पर माँ बाप के लिए बच्चे कभी भी बोझा नहीं होते , वे हमेशा उनका ध्यान रखते है !!

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