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जिनि सेविआ तिनि पाइआ मानु ॥ नानक गावीऐ गुणी निधानु ॥

जिनि सेविआ तिनि पाइआ मानु ॥ नानक गावीऐ गुणी निधानु ॥

 

जिन्होंने ईश्वर की सेवा की है, उन्हें मान और सम्मान प्राप्त हुआ है। हे नानक, हमें उस गुणों के खजाने (ईश्वर) के गुण गाने चाहिए।

इन पंक्तियों का विश्लेषण नीचे दिए गए विभिन्न संदर्भों में:

करियर और आर्थिक स्थिरता

करियर और आर्थिक स्थिरता के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ सिखाती हैं कि यदि हम ईमानदारी और निष्ठा के साथ अपने कार्य में लगे रहते हैं और ईश्वर की सेवा करते हैं, तो हमें समाज में सम्मान और प्रतिष्ठा प्राप्त होती है। उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति जो अपने काम में ईमानदारी और मेहनत से लगा रहता है, उसे न केवल आर्थिक स्थिरता मिलती है, बल्कि वह अपने सहकर्मियों और समाज से भी सम्मान प्राप्त करता है।

स्वास्थ्य और भलाई

स्वास्थ्य और भलाई के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ बताती हैं कि ईश्वर की सेवा और उसकी प्रार्थना करने से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। जो लोग नियमित रूप से ध्यान और प्रार्थना करते हैं, वे अधिक शांति और भलाई का अनुभव करते हैं। उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति जो योग और प्रार्थना के माध्यम से अपने जीवन में संतुलन बनाए रखता है, वह मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रहता है।

पारिवारिक ज़िम्मेदारियाँ

पारिवारिक ज़िम्मेदारियों के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ सिखाती हैं कि यदि हम अपने परिवार के सदस्यों की सेवा और देखभाल करते हैं, तो हमें उनके सम्मान और स्नेह की प्राप्ति होती है। एक माता-पिता जो अपने बच्चों की भलाई के लिए कड़ी मेहनत करते हैं और उनके लिए समय निकालते हैं, उन्हें अपने बच्चों से मान और सम्मान प्राप्त होता है।

आध्यात्मिक नेतृत्व

आध्यात्मिक नेतृत्व के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ बताती हैं कि जो लोग ईश्वर की सेवा में अपना जीवन समर्पित करते हैं, वे समाज में एक सम्मानित स्थान प्राप्त करते हैं। एक सच्चे आध्यात्मिक नेता जो ईश्वर की भक्ति और सेवा में लगे रहते हैं, उन्हें उनके अनुयायियों और समाज से मान्यता और सम्मान प्राप्त होता है।

परिवार और रिश्तों की गतिशीलता

परिवार और रिश्तों की गतिशीलता के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ सिखाती हैं कि यदि हम अपने परिवार और रिश्तेदारों के साथ सच्चे दिल से सेवा और प्रेम का व्यवहार करते हैं, तो हमें उनका सम्मान और प्यार मिलता है। जैसे कि एक पति-पत्नी जो एक दूसरे का समर्थन और देखभाल करते हैं, उन्हें अपने रिश्ते में संतुलन और सम्मान मिलता है।

व्यक्तिगत पहचान और विकास

व्यक्तिगत पहचान और विकास के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ बताती हैं कि जो लोग ईश्वर की सेवा और भक्ति में लगे रहते हैं, उन्हें समाज में एक विशिष्ट पहचान और सम्मान प्राप्त होता है। एक व्यक्ति जो अपनी आध्यात्मिक यात्रा में गहरे उतरता है, उसे आत्मज्ञान और समाज में प्रतिष्ठा प्राप्त होती है।

स्वास्थ्य और सुरक्षा

स्वास्थ्य और सुरक्षा के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ सिखाती हैं कि जो लोग ईश्वर की सेवा और भक्ति में लगे रहते हैं, उन्हें मानसिक और शारीरिक सुरक्षा प्राप्त होती है। एक व्यक्ति जो नियमित रूप से ध्यान और प्रार्थना करता है, उसे मानसिक शांति और सुरक्षा का अनुभव होता है।

विभिन्न भूमिकाओं का संतुलन

विभिन्न भूमिकाओं का संतुलन बनाए रखने के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ बताती हैं कि जो लोग अपने जीवन की विभिन्न भूमिकाओं में ईमानदारी और सेवा का व्यवहार करते हैं, उन्हें समाज में सम्मान और संतुलन प्राप्त होता है। एक महिला जो माँ, पत्नी, और पेशेवर के रूप में संतुलन बनाए रखती है, उसे परिवार और समाज से सम्मान मिलता है।

मासूमियत और सीखना

मासूमियत और सीखने के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ सिखाती हैं कि जो लोग मासूमियत और उत्साह के साथ ईश्वर की सेवा और भक्ति करते हैं, उन्हें ज्ञान और सम्मान प्राप्त होता है। एक बच्चा जो सच्चे दिल से सीखने और सेवा में लगा रहता है, उसे समाज में मान्यता मिलती है।

पारिवारिक और पर्यावरणीय प्रभाव

पारिवारिक और पर्यावरणीय प्रभाव के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ बताती हैं कि जो लोग अपने परिवार और पर्यावरण की भलाई के लिए काम करते हैं, उन्हें समाज में सम्मान प्राप्त होता है। एक व्यक्ति जो पर्यावरण की सुरक्षा के लिए काम करता है, उसे समाज में एक आदर्श के रूप में देखा जाता है।

दोस्ती और सामाजिक स्वीकृति

दोस्ती और सामाजिक स्वीकृति के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ सिखाती हैं कि जो लोग अपने मित्रों और समाज के सदस्यों की सेवा और भलाई के लिए काम करते हैं, उन्हें समाज में सम्मान और स्वीकृति मिलती है। एक व्यक्ति जो अपने मित्रों की मदद करता है और समाज की सेवा करता है, उसे सभी का प्यार और सम्मान मिलता है।

बौद्धिक संदेह

बौद्धिक संदेह के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ बताती हैं कि जो लोग ईश्वर की सेवा और भक्ति में लगे रहते हैं, उन्हें अपने बौद्धिक संदेहों का समाधान मिलता है और वे समाज में सम्मान प्राप्त करते हैं। एक वैज्ञानिक जो ईश्वर की कृपा और भक्ति में विश्वास रखता है, उसे अपने अनुसंधान में सफलता और समाज में प्रतिष्ठा प्राप्त होती है।

भावनात्मक उथल-पुथल

भावनात्मक उथल-पुथल के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ सिखाती हैं कि जो लोग ईश्वर की सेवा और भक्ति में लगे रहते हैं, उन्हें मानसिक शांति और समाज में सम्मान प्राप्त होता है। एक व्यक्ति जो जीवन में कठिनाइयों का सामना करता है, उसे ईश्वर की कृपा से मानसिक शांति और समर्थन मिलता है।

सांस्कृतिक आदान-प्रदान

सांस्कृतिक आदान-प्रदान के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ बताती हैं कि जो लोग विभिन्न संस्कृतियों का सम्मान और सेवा करते हैं, उन्हें समाज में सम्मान और स्वीकृति प्राप्त होती है। एक व्यक्ति जो विभिन्न संस्कृतियों के साथ काम करता है और उनका सम्मान करता है, उसे समाज में मान्यता मिलती है।

रिश्तों का प्रभाव

रिश्तों का प्रभाव के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ सिखाती हैं कि जो लोग अपने रिश्तों को मजबूत और सकारात्मक बनाए रखने के लिए सेवा और भक्ति का सहारा लेते हैं, उन्हें समाज में सम्मान और प्यार प्राप्त होता है। एक पति-पत्नी जो एक दूसरे का सम्मान करते हैं और ईश्वर की कृपा से अपने रिश्ते को मजबूत बनाते हैं, उन्हें समाज में सम्मान मिलता है।

सत्य की खोज

सत्य की खोज के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ बताती हैं कि जो लोग ईश्वर की सेवा और भक्ति में लगे रहते हैं, उन्हें सत्य की प्राप्ति होती है और समाज में सम्मान प्राप्त होता है। एक साधु जो आत्मज्ञान की तलाश में है, उसे ईश्वर की कृपा से सत्य की प्राप्ति होती है और उसे समाज में सम्मान मिलता है।

धार्मिक संस्थानों से निराशा

धार्मिक संस्थानों से निराशा के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ सिखाती हैं कि जो लोग धार्मिक संस्थानों से निराश होते हैं, उन्हें ईश्वर की सेवा और भक्ति के माध्यम से मानसिक शांति और समाज में सम्मान प्राप्त होता है। एक व्यक्ति जो धार्मिक संस्थानों से निराश होता है, उसे ईश्वर की कृपा से मार्गदर्शन और समर्थन मिलता है।

व्यक्तिगत पीड़ा

व्यक्तिगत पीड़ा के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ बताती हैं कि जो लोग अपनी पीड़ा को संभालने और उससे उबरने के लिए ईश्वर की सेवा और भक्ति का सहारा लेते हैं, उन्हें मानसिक शांति और समाज में सम्मान प्राप्त होता है। एक व्यक्ति जो जीवन में कठिनाइयों का सामना करता है, उसे ईश्वर की कृपा से मानसिक और शारीरिक शांति मिलती है।

अनुभवजन्य अन्याय

अनुभवजन्य अन्याय के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ सिखाती हैं कि जो लोग अन्याय का सामना करने के लिए ईश्वर की सेवा और भक्ति का सहारा लेते हैं, उन्हें मानसिक शांति और समाज में सम्मान प्राप्त होता है। एक व्यक्ति जो जीवन में अन्याय का सामना करता है, उसे ईश्वर की कृपा से शक्ति और साहस मिलता है।

दार्शनिक अन्वेषण

दार्शनिक अन्वेषण के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ बताती हैं कि जो लोग अपने जीवन में दार्शनिक विचारों और अन्वेषणों के लिए ईश्वर की सेवा और भक्ति का सहारा लेते हैं, उन्हें समाज में सम्मान और स्वीकृति प्राप्त होती है। एक दार्शनिक जो आत्मज्ञान की तलाश में है, उसे ईश्वर की कृपा से नए विचार और ज्ञान प्राप्त होते हैं।

विज्ञान और तर्क

विज्ञान और तर्क के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ सिखाती हैं कि जो लोग अपने वैज्ञानिक अनुसंधान और तर्कों के लिए ईश्वर की सेवा और भक्ति का सहारा लेते हैं, उन्हें समाज में सम्मान और स्वीकृति प्राप्त होती है। एक वैज्ञानिक जो अपने अनुसंधान में संदेह का सामना करता है, उसे ईश्वर की कृपा से सफलता और समाज में प्रतिष्ठा प्राप्त होती है।

धार्मिक घोटाले

धार्मिक घोटालों के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ बताती हैं कि जो लोग धार्मिक घोटालों का सामना करते हैं, उन्हें ईश्वर की सेवा और भक्ति के माध्यम से मानसिक शांति और समाज में सम्मान प्राप्त होता है। एक व्यक्ति जो धार्मिक घोटालों का शिकार होता है, उसे ईश्वर की कृपा से मार्गदर्शन और समर्थन मिलता है।

अपेक्षाओं की पूर्ति नहीं होना

अपेक्षाओं की पूर्ति नहीं होने के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ सिखाती हैं कि जो लोग अपनी उम्मीदों में सफलता नहीं पाते, उन्हें ईश्वर की सेवा और भक्ति के माध्यम से मानसिक शांति और समाज में सम्मान प्राप्त होता है। एक व्यक्ति जो अपनी उम्मीदों में असफल होता है, उसे ईश्वर की कृपा से समर्थन और प्रेरणा मिलती है।

सामाजिक दबाव

सामाजिक दबाव के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ बताती हैं कि जो लोग सामाजिक दबाव का सामना करने के लिए ईश्वर की सेवा और भक्ति का सहारा लेते हैं, उन्हें समाज में सम्मान और स्वीकृति प्राप्त होती है। एक व्यक्ति जो समाज के दबाव में होता है, उसे ईश्वर की कृपा से साहस और शक्ति मिलती है।

व्यक्तिगत दृढ़ विश्वास

व्यक्तिगत दृढ़ विश्वास के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ सिखाती हैं कि जो लोग अपने दृढ़ विश्वास को बनाए रखने के लिए ईश्वर की सेवा और भक्ति का सहारा लेते हैं, उन्हें समाज में सम्मान और स्वीकृति प्राप्त होती है। एक व्यक्ति जो अपने विश्वास में अडिग रहता है, उसे ईश्वर की कृपा से समर्थन और प्रेरणा मिलती है।

जीवन के परिवर्तन

जीवन के परिवर्तन के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ बताती हैं कि जो लोग जीवन में आने वाले परिवर्तनों का सामना करने के लिए ईश्वर की सेवा और भक्ति का सहारा लेते हैं, उन्हें समाज में सम्मान और स्वीकृति प्राप्त होती है। एक व्यक्ति जो जीवन में बदलाव का सामना करता है, उसे ईश्वर की कृपा से समर्थन और प्रेरणा मिलती है।

अस्तित्व संबंधी प्रश्न

अस्तित्व संबंधी प्रश्नों के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ सिखाती हैं कि जो लोग अपने अस्तित्व संबंधी प्रश्नों का समाधान करने के लिए ईश्वर की सेवा और भक्ति का सहारा लेते हैं, उन्हें समाज में सम्मान और स्वीकृति प्राप्त होती है। एक व्यक्ति जो अपने अस्तित्व के बारे में सोचता है, उसे ईश्वर की कृपा से उत्तर प्राप्त होते हैं और वह समाज में मान्यता प्राप्त करता है।

राय

पहिलां मासहु निमिआ मासै अंदरि वासु ॥
जीउ पाइ मासु मुहि मिलिआ हडु चमु तनु मासु ॥

 

मान लिजिये –
आप पसीने से तर बतर हैं। बहुत प्यासे हैं ,गला सूख रहा है, पर कहीं भी पानी नहीं मिल रहा है।

ऐसे में आप एक वृक्ष की छाया में थकान मिटाने के लिए खड़े होते हैं !

तभी सामने की एक इमारत की पहली मंजिल की खिड़की खुलती है और आपकी उस व्यक्ति से आंखों मिलती है।

आपकी स्थिति देखकर, वह व्यक्ति हाथ के इशारे से आपको पानी के लिए पूछता है।

आपकी उस व्यक्ति के बारे में कैसी राय होगी ?

(यह आपकी पहली राय है !)

आदमी नीचे आने का इशारा करता है और खिड़की बंद कर देता है।

नीचे का दरवाजा 15 मिनट बाद भी नहीं खुलता।

अब उस व्यक्ति के बारे में आपकी क्या राय है ?

(यह आपकी दूसरी राय है !)

16 मिनट बाद दरवाजा खुलता है और आदमी कहता है –

‘मुझे देरी के लिए खेद है, लेकिन आपकी हालत देखकर, मैंने आपको पानी के बजाय नींबू पानी देना सबसे अच्छा समझा,

इसलिए थोड़ा समय लग गया ! ‘

अब उस व्यक्ति के बारे में आपकी राय बदल गई होगी ?

याद रखें कि आपको अभी तक कोई पानी या शर्बत नहीं मिला है।

( उस व्यक्ति के बारे में यह आपकी तीसरी राय है , ध्यान में रखें ।)

अब जैसे ही आप शर्बत को अपनी जीभ पर लगाते हैं, आपको पता चलता है कि इसमें चीनी नहीं है।

अब आप उस व्यक्ति के बारे में कैसा महसूस करते हैं?

(चौथी राय आकार ले लेती है !)

आपके चेहरे को खट्टेपन से भरा हुआ देखकर, व्यक्ति धीरे से ऑरेंज ग्लूकोज़ का एक पाऊच निकालता है और कहता है – आप अपने स्वाद के अनुसार जितना चाहें उतना डाल लें ।

अब उसी व्यक्ति के बारे में आपकी राय फिर बदल गई होगी ?

एक सामान्य स्थिति में भी, अगर हमारी राय इतनी खोखली है और लगातार बदलती जा रही है, तो क्या हम किसी के भी बारे में राय देने के लायक है ?

वास्तव में,
दुनिया में इतना समझ आया कि अगर कोई व्यक्ति आपकी अपेक्षाओं के अनुरूप व्यवहार करता है तो वह अच्छा है अन्यथा वह बुरा है।

अपनी अपेक्षा के अनुसार राय बना लेना ही दुखों का आरंभ है।

 

थापिआ न जाइ कीता न होइ ॥ आपे आपि निरंजनु सोइ ॥

थापिआ न जाइ कीता न होइ ॥ आपे आपि निरंजनु सोइ ॥

 

ईश्वर को न ही स्थापित किया जा सकता है और न ही उसे बनाया जा सकता है। वह स्वयं ही निरंकार (निर्दोष, बिना आकार का) है।

इन पंक्तियों का विश्लेषण नीचे दिए गए विभिन्न संदर्भों में:

करियर और आर्थिक स्थिरता

करियर और आर्थिक स्थिरता के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ सिखाती हैं कि सफलता और स्थिरता के लिए हमें ईश्वर की कृपा और सत्य पर विश्वास रखना चाहिए। इसे किसी बाहरी साधन से नहीं प्राप्त किया जा सकता। जैसे कि एक व्यक्ति जो अपने व्यवसाय में सफल होना चाहता है, उसे मेहनत और ईमानदारी के साथ ईश्वर पर भरोसा रखना चाहिए।

स्वास्थ्य और भलाई

स्वास्थ्य और भलाई के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ दर्शाती हैं कि हमें अपने स्वास्थ्य और भलाई के लिए प्राकृतिक और आध्यात्मिक साधनों का सहारा लेना चाहिए। ईश्वर की कृपा से ही हमें सच्ची भलाई प्राप्त होती है। जैसे कि एक व्यक्ति जो स्वस्थ रहना चाहता है, उसे संतुलित आहार, व्यायाम, और प्रार्थना का पालन करना चाहिए।

पारिवारिक ज़िम्मेदारियाँ

पारिवारिक ज़िम्मेदारियों के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ बताती हैं कि हमें अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाने में ईश्वर पर विश्वास और उसकी कृपा पर निर्भर रहना चाहिए। जैसे कि एक माता-पिता जो अपने बच्चों की परवरिश करते हैं, उन्हें ईश्वर की कृपा से मार्गदर्शन और समर्थन मिलता है।

आध्यात्मिक नेतृत्व

आध्यात्मिक नेतृत्व के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ सिखाती हैं कि एक सच्चा आध्यात्मिक नेता ईश्वर के निरंकार स्वरूप को समझता है और उसे स्थापित करने की आवश्यकता नहीं होती। वह स्वयं ही आत्मज्ञान के माध्यम से ईश्वर की अनुभूति करता है। जैसे कि एक गुरु जो अपने शिष्यों को आत्मज्ञान का मार्ग दिखाता है।

परिवार और रिश्तों की गतिशीलता

परिवार और रिश्तों की गतिशीलता के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ बताती हैं कि हमें अपने रिश्तों को मजबूत और सकारात्मक बनाए रखने के लिए ईश्वर पर विश्वास और उसकी कृपा का सहारा लेना चाहिए। जैसे कि एक पति-पत्नी जो एक दूसरे का सम्मान करते हैं और ईश्वर की कृपा से अपने रिश्ते को मजबूत बनाते हैं।

व्यक्तिगत पहचान और विकास

व्यक्तिगत पहचान और विकास के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ सिखाती हैं कि हमें अपनी पहचान और विकास के लिए ईश्वर की कृपा और सत्य का अनुसरण करना चाहिए। जैसे कि एक व्यक्ति जो आत्मज्ञान की तलाश में है, उसे ईश्वर की कृपा से आत्मज्ञान प्राप्त होता है।

स्वास्थ्य और सुरक्षा

स्वास्थ्य और सुरक्षा के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ दर्शाती हैं कि हमें अपने स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए ईश्वर की कृपा पर निर्भर रहना चाहिए। जैसे कि एक व्यक्ति जो अपनी सुरक्षा के लिए प्रार्थना करता है और ईश्वर की कृपा से सुरक्षित रहता है।

विभिन्न भूमिकाओं का संतुलन

विभिन्न भूमिकाओं का संतुलन बनाए रखने के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ सिखाती हैं कि हमें अपनी जीवन की विभिन्न भूमिकाओं में संतुलन बनाए रखने के लिए ईश्वर की कृपा और मार्गदर्शन का सहारा लेना चाहिए। जैसे कि एक महिला जो एक माँ, पत्नी और कर्मचारी की भूमिकाओं को निभाती है, उसे ईश्वर की कृपा से संतुलन प्राप्त होता है।

मासूमियत और सीखना

मासूमियत और सीखने के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ दर्शाती हैं कि हमें अपनी मासूमियत और सीखने की प्रक्रिया को बनाए रखने के लिए ईश्वर की कृपा पर भरोसा करना चाहिए। जैसे कि एक बच्चा जो नई चीजें सीखता है, उसे ईश्वर की कृपा से मार्गदर्शन और समर्थन मिलता है।

पारिवारिक और पर्यावरणीय प्रभाव

पारिवारिक और पर्यावरणीय प्रभाव के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ बताती हैं कि हमें अपने परिवार और पर्यावरण की भलाई के लिए ईश्वर की कृपा और मार्गदर्शन का सहारा लेना चाहिए। जैसे कि एक परिवार जो अपने पर्यावरण की सुरक्षा के लिए काम करता है, उन्हें ईश्वर की कृपा से मार्गदर्शन मिलता है।

दोस्ती और सामाजिक स्वीकृति

दोस्ती और सामाजिक स्वीकृति के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ सिखाती हैं कि हमें सच्ची दोस्ती और सामाजिक स्वीकृति के लिए ईश्वर की कृपा और सत्य का अनुसरण करना चाहिए। जैसे कि एक व्यक्ति जो सच्चे मित्रों की तलाश में है, उसे ईश्वर की कृपा से सच्चे मित्र मिलते हैं।

बौद्धिक संदेह

बौद्धिक संदेह के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ बताती हैं कि हमें अपने बौद्धिक संदेहों का समाधान करने के लिए ईश्वर की कृपा और आत्मज्ञान का सहारा लेना चाहिए। जैसे कि एक वैज्ञानिक जो अपने अनुसंधान में संदेह का सामना करता है, उसे ईश्वर की कृपा से समाधान मिलता है।

भावनात्मक उथल-पुथल

भावनात्मक उथल-पुथल के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ सिखाती हैं कि हमें अपनी भावनात्मक स्थिति को स्थिर रखने के लिए ईश्वर की कृपा और मार्गदर्शन का सहारा लेना चाहिए। जैसे कि एक व्यक्ति जो जीवन में कठिनाइयों का सामना करता है, उसे ईश्वर की कृपा से मानसिक शांति मिलती है।

सांस्कृतिक आदान-प्रदान

सांस्कृतिक आदान-प्रदान के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ बताती हैं कि हमें विभिन्न संस्कृतियों का सम्मान और आदान-प्रदान के लिए ईश्वर की कृपा और मार्गदर्शन का सहारा लेना चाहिए। जैसे कि एक व्यक्ति जो विभिन्न संस्कृतियों के साथ काम करता है, उसे ईश्वर की कृपा से मार्गदर्शन मिलता है।

रिश्तों का प्रभाव

रिश्तों का प्रभाव के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ सिखाती हैं कि हमें अपने रिश्तों को मजबूत और सकारात्मक बनाए रखने के लिए ईश्वर की कृपा और मार्गदर्शन का सहारा लेना चाहिए। जैसे कि एक पति-पत्नी जो एक दूसरे का सम्मान करते हैं और ईश्वर की कृपा से अपने रिश्ते को मजबूत बनाते हैं।

सत्य की खोज

सत्य की खोज के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ बताती हैं कि हमें अपने जीवन में सत्य की खोज करने के लिए ईश्वर की कृपा और मार्गदर्शन का सहारा लेना चाहिए। जैसे कि एक साधु जो आत्मज्ञान की तलाश में है, उसे ईश्वर की कृपा से सत्य की प्राप्ति होती है।

धार्मिक संस्थानों से निराशा

धार्मिक संस्थानों से निराशा के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ सिखाती हैं कि हमें धार्मिक संस्थानों में निराशा मिलने पर भी ईश्वर की कृपा और मार्गदर्शन का सहारा लेना चाहिए। जैसे कि एक व्यक्ति जो धार्मिक संस्थानों से निराश होता है, उसे ईश्वर की कृपा से मार्गदर्शन और समर्थन मिलता है।

व्यक्तिगत पीड़ा

व्यक्तिगत पीड़ा के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ बताती हैं कि हमें अपनी पीड़ा को संभालने और उससे उबरने के लिए ईश्वर की कृपा और मार्गदर्शन का सहारा लेना चाहिए। जैसे कि एक व्यक्ति जो जीवन में कठिनाइयों का सामना करता है, उसे ईश्वर की कृपा से मानसिक और शारीरिक शांति मिलती है।

अनुभवजन्य अन्याय

अनुभवजन्य अन्याय के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ सिखाती हैं कि हमें अन्याय का सामना करने के लिए ईश्वर की कृपा और मार्गदर्शन का सहारा लेना चाहिए। जैसे कि एक व्यक्ति जो जीवन में अन्याय का सामना करता है, उसे ईश्वर की कृपा से शक्ति और साहस मिलता है।

दार्शनिक अन्वेषण

दार्शनिक अन्वेषण के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ बताती हैं कि हमें अपने जीवन में दार्शनिक विचारों और अन्वेषणों के लिए ईश्वर की कृपा और मार्गदर्शन का सहारा लेना चाहिए। जैसे कि एक दार्शनिक जो आत्मज्ञान की तलाश में है, उसे ईश्वर की कृपा से नए विचार और ज्ञान प्राप्त होते हैं।

विज्ञान और तर्क

विज्ञान और तर्क के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ सिखाती हैं कि हमें अपने वैज्ञानिक अनुसंधान और तर्कों के लिए ईश्वर की कृपा और मार्गदर्शन का सहारा लेना चाहिए। जैसे कि एक वैज्ञानिक जो अपने अनुसंधान में संदेह का सामना करता है, उसे ईश्वर की कृपा से समाधान मिलता है।

धार्मिक घोटाले

धार्मिक घोटालों के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ बताती हैं कि हमें धार्मिक घोटालों के बावजूद अपने विश्वास को बनाए रखने और ईश्वर की कृपा और मार्गदर्शन का सहारा लेना चाहिए। जैसे कि एक व्यक्ति जो धार्मिक घोटालों से निराश होता है, उसे ईश्वर की कृपा से मार्गदर्शन और समर्थन मिलता है।

अपेक्षाओं की पूर्ति नहीं होना

अपेक्षाओं की पूर्ति नहीं होने के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ सिखाती हैं कि हमें अपनी उम्मीदों और अपेक्षाओं की पूर्ति के लिए ईश्वर की कृपा और मार्गदर्शन का सहारा लेना चाहिए। जैसे कि एक व्यक्ति जो अपनी उम्मीदों में सफलता नहीं पाता, उसे ईश्वर की कृपा से सकारात्मक ऊर्जा और प्रेरणा मिलती है।

सामाजिक दबाव

सामाजिक दबाव के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ बताती हैं कि हमें सामाजिक दबाव के बावजूद अपने सिद्धांतों और मूल्यों को बनाए रखने के लिए ईश्वर की कृपा और मार्गदर्शन का सहारा लेना चाहिए। जैसे कि एक व्यक्ति जो समाज के दबाव में होता है, उसे ईश्वर की कृपा से साहस और शक्ति मिलती है।

व्यक्तिगत दृढ़ विश्वास

व्यक्तिगत दृढ़ विश्वास के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ सिखाती हैं कि हमें अपने दृढ़ विश्वास को बनाए रखने के लिए ईश्वर की कृपा और मार्गदर्शन का सहारा लेना चाहिए। जैसे कि एक व्यक्ति जो अपने विश्वास में अडिग रहता है, उसे ईश्वर की कृपा से समर्थन और प्रेरणा मिलती है।

जीवन के परिवर्तन

जीवन के परिवर्तन के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ बताती हैं कि हमें जीवन में आने वाले परिवर्तनों का सामना करने के लिए ईश्वर की कृपा और मार्गदर्शन का सहारा लेना चाहिए। जैसे कि एक व्यक्ति जो जीवन में बदलाव का सामना करता है, उसे ईश्वर की कृपा से समर्थन और प्रेरणा मिलती है।

अस्तित्व संबंधी प्रश्न

अस्तित्व संबंधी प्रश्नों के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ सिखाती हैं कि हमें अपने अस्तित्व संबंधी प्रश्नों का समाधान करने के लिए ईश्वर की कृपा और मार्गदर्शन का सहारा लेना चाहिए। जैसे कि एक व्यक्ति जो अपने अस्तित्व के बारे में सोचता है, उसे ईश्वर की कृपा से उत्तर प्राप्त होते हैं।

बेटियां

इकन्हा गलीं जंजीर बंदि रबाणीऐ ॥ बधे छुटहि सचि सचु पछाणीऐ ॥
लिखिआ पलै पाइ सो सचु जाणीऐ ॥ हुकमी होइ निबेड़ु गइआ जाणीऐ ॥

लड़कियों के एक विद्यालय में आई नई अध्यापिका बहुत खूबसूरत थी, बस उम्र थोड़ी अधिक हो रही थी लेकिन उसने अभी तक शादी नहीं की थी…

सभी छात्राएं उसे देखकर तरह तरह के अनुमान लगाया करती थीं। एक दिन किसी कार्यक्रम के दौरान जब छात्राएं उसके इर्द-गिर्द खड़ी थीं तो एक छात्रा ने बातों बातों में ही उससे पूछ लिया कि मैडम आपने अभी तक शादी क्यों नहीं की…?

अध्यापिका ने कहा- “पहले एक कहानी सुनाती हूं।

एक महिला को बेटे होने की लालच में लगातार पांच बेटियां ही पैदा होती रहीं।

जब छठवीं बार वह गर्भवती हुई तो पति ने उसको धमकी दी कि अगर इस बार भी बेटी हुई तो उस बेटी को बाहर किसी सड़क या चौक पर फेंक आऊंगा।

महिला अकेले में रोती हुई भगवान से प्रार्थना करने लगी, क्योंकि यह उसके वश की बात नहीं थी कि अपनी इच्छानुसार बेटा पैदा कर देती।
इस बार भी बेटी ही पैदा हुई।

पति ने नवजात बेटी को उठाया और रात के अंधेरे में शहर के बीचों-बीच चौक पर रख आया।

मां पूरी रात उस नन्हीं सी जान के लिए रो रोकर दुआ करती रही।

दूसरे दिन सुबह पिता जब चौक पर बेटी को देखने पहुंचा तो देखा कि बच्ची वहीं पड़ी है।

उसे जीवित रखने के लिए बाप बेटी को वापस घर लाया लेकिन दूसरी रात फिर बेटी को उसी चौक पर रख आया।

रोज़ यही होता रहा। हर बार पिता उस नवजात बेटी को बाहर रख आता और जब कोई उसे लेकर नहीं जाता तो मजबूरन वापस उठा लाता।
यहां तक कि उसका पिता एक दिन थक गया और भगवान की इच्छा समझकर शांत हो गया।

फिर एक वर्ष बाद मां जब फिर से गर्भवती हुई तो इस बार उनको बेटा हुआ।

लेकिन कुछ ही दिन बाद ही छह बेटियों में से एक बेटी की मौत हो गई, यहां तक कि माँ पांच बार गर्भवती हुई और हर बार बेटे ही हुए। लेकिन हर बार उसकी बेटियों में से एक बेटी इस दुनियां से चली जाती।”

अध्यापिका की आंखों से आंसू गिरने लगे थे। उसने आंसू पोंछकर आगे कहना शुरु किया।

“अब सिर्फ एक ही बेटी ज़िंदा बची थी और वह वही बेटी थी, जिससे बाप जान छुड़ाना चाह रहा था। एक दिन अचानक मां भी इस दुनियां से चली गई। इधर पांच बेटे और एक बेटी सब धीरे धीरे बड़े हो गए।”

अध्यापक ने फिर कहा- “पता है वह बेटी जो ज़िंदा बची रही, मैं ही हूं।

मैंने अभी तक शादी इसलिए नहीं की, कि मेरे पिता अब इतने बूढ़े हो गए हैं कि अपने हाथ से खाना भी नहीं खा सकते और अब घर में और कोई नहीं है जो उनकी सेवा कर सकें।

बस मैं ही उनकी सेवा और देखभाल किया करती हूं।

जिन बेटों के लिए पिताजी परेशान थे, वो पांच बेटे अपनी अपनी पत्नियों और बच्चों के साथ अलग रहते हैं। बस कभी-कभी आकर पिता का हालचाल पूछ जाते हैं।”

वह थोड़ा मुस्कराई। फिर बोली –

“मेरे पिताजी अब हर दिन शर्मिंदगी के साथ रो-रो कर मुझ से कहा करते हैं, मेरी प्यारी बेटी जो कुछ मैंने बचपन में तेरे साथ किया उसके लिए मुझे माफ कर देना।”

बेटी की बाप से मुहब्बत के बारे में एक प्यारा सा किस्सा यह भी है कि एक पिता बेटे के साथ खेल रहा था।

बेटे का हौंसला बढ़ाने के लिए वह जान बूझ कर हार जा रहा था।

दूर बैठी बेटी बाप की हार बर्दाश्त ना कर सकी और बाप के साथ लिपटकर रोते हुए बोली- “पापा ! आप मेरे साथ खेलिए, ताकि मैं आपकी जीत के लिए हार सकूँ।”

ऐसी होती हैं बेटियां!!

अम्रित वेला सचु नाउ वडिआई वीचारु ॥

अम्रित वेला सचु नाउ वडिआई वीचारु ॥

करमी आवै कपड़ा नदरी मोखु दुआरु ॥

नानक एवै जाणीऐ सभु आपे सचिआरु ॥४॥

अमृत वेला (प्रातःकाल) में सच का नाम (ईश्वर का नाम) और उसकी महानता का विचार करना चाहिए। यह कर्मों के द्वारा शरीर का वस्त्र (शरीर) प्राप्त होता है और उसकी कृपा से मोक्ष का द्वार मिलता है। नानक कहते हैं कि यह जानना चाहिए कि सब कुछ सत्य के मालिक (ईश्वर) के द्वारा ही होता है।

इन पंक्तियों का विश्लेषण नीचे दिए गए विभिन्न संदर्भों में:

करियर और आर्थिक स्थिरता

करियर और आर्थिक स्थिरता के संदर्भ में, ये पंक्तियाँ सिखाती हैं कि हमें अपने करियर में सफलता प्राप्त करने के लिए सुबह के समय में ईश्वर का स्मरण और उनकी महानता का विचार करना चाहिए। यह हमें सकारात्मक ऊर्जा और प्रेरणा देता है जिससे हम अपने कार्य में और अधिक मनोयोग से लगते हैं। उदाहरण के लिए, एक व्यवसायी जो अपने दिन की शुरुआत प्रार्थना और ध्यान से करता है, उसे अपने व्यापार में सफलता प्राप्त होती है और वह आर्थिक स्थिरता प्राप्त करता है।

स्वास्थ्य और भलाई

स्वास्थ्य और भलाई के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ दर्शाती हैं कि हमें अपने स्वास्थ्य के लिए सुबह के समय ध्यान, योग और प्रार्थना का पालन करना चाहिए। इससे हमें मानसिक और शारीरिक शांति मिलती है और हमारी भलाई में वृद्धि होती है। जैसे कि एक व्यक्ति जो नियमित रूप से सुबह योग और ध्यान करता है, उसे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य प्राप्त होता है।

पारिवारिक ज़िम्मेदारियाँ

पारिवारिक जिम्मेदारियों के संदर्भ में, ये पंक्तियाँ बताती हैं कि हमें अपने परिवार की भलाई और सुख के लिए प्रातःकाल में ईश्वर का स्मरण करना चाहिए और उनकी कृपा प्राप्त करनी चाहिए। इससे हमारे परिवार में सुख और शांति बनी रहती है। जैसे कि एक माता-पिता जो सुबह अपने परिवार के लिए प्रार्थना करते हैं, उन्हें अपने परिवार की खुशियों में वृद्धि मिलती है।

आध्यात्मिक नेतृत्व

आध्यात्मिक नेतृत्व के संदर्भ में, ये पंक्तियाँ बताती हैं कि एक सच्चे आध्यात्मिक नेता को प्रातःकाल में ईश्वर का स्मरण करना चाहिए और उनकी महानता का विचार करना चाहिए। इससे वह अपने अनुयायियों को सही मार्गदर्शन दे सकता है। जैसे कि एक गुरु जो सुबह ध्यान और प्रार्थना करता है, वह अपने शिष्यों को सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।

परिवार और रिश्तों की गतिशीलता

परिवार और रिश्तों की गतिशीलता के संदर्भ में, ये पंक्तियाँ बताती हैं कि हमें अपने रिश्तों को सहेजने और मजबूत बनाने के लिए सुबह के समय ईश्वर का स्मरण करना चाहिए। इससे हमारे रिश्ते और अधिक मजबूत होते हैं। जैसे कि एक पति-पत्नी जो सुबह एक साथ प्रार्थना करते हैं, उनके रिश्ते और मजबूत होते हैं।

व्यक्तिगत पहचान और विकास

व्यक्तिगत पहचान और विकास के संदर्भ में, ये पंक्तियाँ सिखाती हैं कि हमें अपनी पहचान और विकास के लिए सुबह के समय ईश्वर का स्मरण करना चाहिए और उनकी महानता का विचार करना चाहिए। इससे हमें आत्म-ज्ञान और व्यक्तिगत विकास प्राप्त होता है। जैसे कि एक व्यक्ति जो सुबह प्रार्थना और ध्यान करता है, उसे आत्म-ज्ञान प्राप्त होता है और वह व्यक्तिगत रूप से विकसित होता है।

स्वास्थ्य और सुरक्षा

स्वास्थ्य और सुरक्षा के संदर्भ में, ये पंक्तियाँ दर्शाती हैं कि हमें अपने स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए प्रातःकाल में ईश्वर का स्मरण करना चाहिए। इससे हमें शारीरिक और मानसिक शांति मिलती है और हमारी सुरक्षा में वृद्धि होती है। जैसे कि एक व्यक्ति जो सुबह योग और ध्यान करता है, उसे शारीरिक और मानसिक शांति प्राप्त होती है और वह सुरक्षित महसूस करता है।

विभिन्न भूमिकाओं का संतुलन

विभिन्न भूमिकाओं का संतुलन बनाए रखने के संदर्भ में, ये पंक्तियाँ सिखाती हैं कि हमें अपने जीवन की विभिन्न भूमिकाओं में संतुलन बनाए रखने के लिए सुबह के समय ईश्वर का स्मरण करना चाहिए। इससे हमें संतुलन और शांति प्राप्त होती है। जैसे कि एक महिला जो एक माँ, पत्नी और कर्मचारी की भूमिकाओं को निभाती है, उसे सुबह के समय प्रार्थना और ध्यान से संतुलन प्राप्त होता है।

मासूमियत और सीखना

मासूमियत और सीखने के संदर्भ में, ये पंक्तियाँ दर्शाती हैं कि हमें अपने बच्चों को सुबह के समय प्रार्थना और ध्यान का महत्व सिखाना चाहिए। इससे उनकी मासूमियत और सीखने की क्षमता में वृद्धि होती है। जैसे कि एक माता-पिता जो अपने बच्चों को सुबह प्रार्थना और ध्यान का महत्व सिखाते हैं, उन्हें उनके बच्चों में मासूमियत और सीखने की क्षमता में वृद्धि मिलती है।

पारिवारिक और पर्यावरणीय प्रभाव

पारिवारिक और पर्यावरणीय प्रभाव के संदर्भ में, ये पंक्तियाँ बताती हैं कि हमें अपने परिवार और पर्यावरण के प्रति सकारात्मक प्रभाव डालने के लिए सुबह के समय ईश्वर का स्मरण करना चाहिए। इससे हमारे परिवार और पर्यावरण में सुख और शांति बनी रहती है। जैसे कि एक परिवार जो सुबह एक साथ प्रार्थना करता है, उनके परिवार में सुख और शांति बनी रहती है और उनका पर्यावरण सकारात्मक होता है।

दोस्ती और सामाजिक स्वीकृति

दोस्ती और सामाजिक स्वीकृति के संदर्भ में, ये पंक्तियाँ सिखाती हैं कि हमें अपने मित्रों और समाज में स्वीकार्यता प्राप्त करने के लिए सुबह के समय ईश्वर का स्मरण करना चाहिए। इससे हमें सच्चे मित्र और समाज में सम्मान प्राप्त होता है। जैसे कि एक व्यक्ति जो सुबह प्रार्थना करता है, उसे सच्चे मित्र और समाज में सम्मान प्राप्त होता है।

बौद्धिक संदेह

बौद्धिक संदेह के संदर्भ में, ये पंक्तियाँ बताती हैं कि हमें अपने बौद्धिक संदेहों का समाधान करने के लिए सुबह के समय ईश्वर का स्मरण करना चाहिए। इससे हमें नए विचार और ज्ञान प्राप्त होते हैं। जैसे कि एक वैज्ञानिक जो सुबह प्रार्थना और ध्यान करता है, उसे नए विचार और ज्ञान प्राप्त होते हैं और वह अपने बौद्धिक संदेहों का समाधान कर पाता है।

भावनात्मक उथल-पुथल

भावनात्मक उथल-पुथल के संदर्भ में, ये पंक्तियाँ सिखाती हैं कि हमें अपनी भावनात्मक स्थिति को स्थिर रखने के लिए सुबह के समय ईश्वर का स्मरण करना चाहिए। इससे हमें मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है। जैसे कि एक व्यक्ति जो सुबह प्रार्थना और ध्यान करता है, उसे मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है और वह अपनी भावनात्मक उथल-पुथल को संभाल पाता है।

सांस्कृतिक आदान-प्रदान

सांस्कृतिक आदान-प्रदान के संदर्भ में, ये पंक्तियाँ बताती हैं कि हमें विभिन्न संस्कृतियों का सम्मान करने और उनसे सीखने के लिए सुबह के समय ईश्वर का स्मरण करना चाहिए। इससे हमें विभिन्न संस्कृतियों का सम्मान और उनसे सीखने की प्रेरणा मिलती है। जैसे कि एक व्यक्ति जो सुबह प्रार्थना करता है, उसे विभिन्न संस्कृतियों का सम्मान और उनसे सीखने की प्रेरणा मिलती है।

रिश्तों का प्रभाव

रिश्तों का प्रभाव के संदर्भ में, ये पंक्तियाँ सिखाती हैं कि हमें अपने रिश्तों को मजबूत बनाने के लिए सुबह के समय ईश्वर का स्मरण करना चाहिए। इससे हमारे रिश्ते और अधिक मजबूत होते हैं। जैसे कि एक पति-पत्नी जो सुबह एक साथ प्रार्थना करते हैं, उनके रिश्ते और मजबूत होते हैं और उनमें प्रेम और समझ बढ़ती है।

सत्य की खोज

सत्य की खोज के संदर्भ में, ये पंक्तियाँ बताती हैं कि हमें अपने जीवन में सत्य की खोज करने के लिए सुबह के समय ईश्वर का स्मरण करना चाहिए। इससे हमें सच्चाई की प्राप्ति होती है और हम अपने जीवन को सही दिशा में ले जा पाते हैं। जैसे कि एक साधु जो सुबह प्रार्थना और ध्यान करता है, उसे सत्य की प्राप्ति होती है और वह अपने जीवन को सही दिशा में ले जा पाता है।

धार्मिक संस्थानों से निराशा

धार्मिक संस्थानों से निराशा के संदर्भ में, ये पंक्तियाँ सिखाती हैं कि हमें धार्मिक संस्थानों में निराशा मिलने पर भी सुबह के समय ईश्वर का स्मरण करना चाहिए। इससे हमें सकारात्मक ऊर्जा और प्रेरणा मिलती है और हम अपने विश्वास को बनाए रख पाते हैं। जैसे कि एक व्यक्ति जो धार्मिक संस्थानों से निराश होता है, उसे सुबह प्रार्थना और ध्यान से सकारात्मक ऊर्जा और प्रेरणा मिलती है और वह अपने विश्वास को बनाए रख पाता है।

व्यक्तिगत पीड़ा

व्यक्तिगत पीड़ा के संदर्भ में, ये पंक्तियाँ बताती हैं कि हमें अपनी पीड़ा को संभालने और उससे उबरने के लिए सुबह के समय ईश्वर का स्मरण करना चाहिए। इससे हमें मानसिक और शारीरिक शांति मिलती है और हम अपनी पीड़ा से उबर पाते हैं। जैसे कि एक व्यक्ति जो जीवन में कठिनाइयों का सामना करता है, उसे सुबह प्रार्थना और ध्यान से मानसिक और शारीरिक शांति मिलती है और वह अपनी पीड़ा से उबर पाता है।

अनुभवजन्य अन्याय

अनुभवजन्य अन्याय के संदर्भ में, ये पंक्तियाँ सिखाती हैं कि हमें अन्याय का सामना करने के लिए सुबह के समय ईश्वर का स्मरण करना चाहिए। इससे हमें शक्ति और साहस मिलता है और हम अन्याय के खिलाफ खड़े हो पाते हैं। जैसे कि एक व्यक्ति जो जीवन में अन्याय का सामना करता है, उसे सुबह प्रार्थना और ध्यान से शक्ति और साहस मिलता है और वह अन्याय के खिलाफ खड़ा हो पाता है।

दार्शनिक अन्वेषण

दार्शनिक अन्वेषण के संदर्भ में, ये पंक्तियाँ बताती हैं कि हमें अपने जीवन में दार्शनिक विचारों और अन्वेषणों के लिए सुबह के समय ईश्वर का स्मरण करना चाहिए। इससे हमें नए विचार और ज्ञान प्राप्त होते हैं। जैसे कि एक दार्शनिक जो सुबह प्रार्थना और ध्यान करता है, उसे नए विचार और ज्ञान प्राप्त होते हैं और वह अपने दार्शनिक अन्वेषणों में सफल होता है।

विज्ञान और तर्क

विज्ञान और तर्क के संदर्भ में, ये पंक्तियाँ सिखाती हैं कि हमें अपने वैज्ञानिक अनुसंधान और तर्कों के लिए सुबह के समय ईश्वर का स्मरण करना चाहिए। इससे हमें नए अनुसंधान और तर्कों का समाधान प्राप्त होता है। जैसे कि एक वैज्ञानिक जो सुबह प्रार्थना और ध्यान करता है, उसे नए अनुसंधान और तर्कों का समाधान प्राप्त होता है और वह अपने अनुसंधान में सफल होता है।

धार्मिक घोटाले

धार्मिक घोटालों के संदर्भ में, ये पंक्तियाँ बताती हैं कि हमें धार्मिक घोटालों के बावजूद अपने विश्वास को बनाए रखने और सुबह के समय ईश्वर का स्मरण करना चाहिए। इससे हमें सकारात्मक ऊर्जा और प्रेरणा मिलती है और हम अपने विश्वास को बनाए रख पाते हैं। जैसे कि एक व्यक्ति जो धार्मिक घोटालों से निराश होता है, उसे सुबह प्रार्थना और ध्यान से सकारात्मक ऊर्जा और प्रेरणा मिलती है और वह अपने विश्वास को बनाए रख पाता है।

अपेक्षाओं की पूर्ति नहीं होना

अपेक्षाओं की पूर्ति नहीं होने के संदर्भ में, ये पंक्तियाँ सिखाती हैं कि हमें अपनी उम्मीदों और अपेक्षाओं की पूर्ति के लिए सुबह के समय ईश्वर का स्मरण करना चाहिए। इससे हमें सकारात्मक ऊर्जा और प्रेरणा मिलती है और हम अपनी अपेक्षाओं को पूरा कर पाते हैं। जैसे कि एक व्यक्ति जो अपनी उम्मीदों में सफलता नहीं पाता, उसे सुबह प्रार्थना और ध्यान से सकारात्मक ऊर्जा और प्रेरणा मिलती है और वह अपनी उम्मीदों को पूरा कर पाता है।

जब-हवा-चलती-है

अंधी कमी अंधु मनु मनि अंधै तनु अंधु ॥
चिकड़ि लाइऐ किआ थीऐ जां तुटै पथर बंधु ॥

बहुत समय पहले की बात है , आइस्लैंड के उत्तरी छोर पर एक किसान रहता था . उसे अपने खेत में काम करने वालों की बड़ी ज़रुरत रहती थी लेकिन ऐसी खतरनाक जगह , जहाँ आये दिन आंधी –तूफ़ान आते रहते हों , कोई काम करने को तैयार नहीं होता था .

किसान ने एक दिन शहर के अखबार में इश्तहार दिया कि उसे खेत में काम करने वाले एक मजदूर की ज़रुरत है . किसान से मिलने कई लोग आये लेकिन जो भी उस जगह के बारे में सुनता , वो काम करने से मन कर देता .

अंततः एक सामान्य कद का पतला -दुबला अधेड़ व्यक्ति किसान के पास पहुंचा . किसान ने उससे पूछा , “ क्या तुम इन परिस्थितयों में काम कर सकते हो ?” “ ह्म्म्म , बस जब हवा चलती है तब मैं सोता हूँ .” व्यक्ति ने उत्तर दिया .

किसान को उसका उत्तर थोडा अजीब लगा लेकिन चूँकि उसे कोई और काम करने वाला नहीं मिल रहा था इसलिए उसने व्यक्ति को काम पर रख लिया. मजदूर मेहनती निकला , वह सुबह से शाम तक खेतों में म्हणत करता , किसान भी उससे काफी संतुष्ट था .

कुछ ही दिन बीते थे कि एक रात अचानक ही जोर-जोर से हवा बहने लगी , किसान अपने अनुभव से समझ गया कि अब तूफ़ान आने वाला है . वह तेजी से उठा , हाथ में लालटेन ली और मजदूर के झोपड़े की तरफ दौड़ा . “ जल्दी उठो , देखते नहीं तूफ़ान आने वाला है , इससे पहले की सबकुछ तबाह हो जाए कटी फसलों को बाँध कर ढक दो और बाड़े के गेट को भी रस्सियों से कास दो .”

किसान चीखा . मजदूर बड़े आराम से पलटा और बोला , “ नहीं जनाब , मैंने आपसे पहले ही कहा था कि जब हवा चलती है तो मैं सोता हूँ !!!.”

यह सुन किसान का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया , जी में आया कि उस मजदूर को गोली मार दे , पर अभी वो आने वाले तूफ़ान से चीजों को बचाने के लिए भागा .

किसान खेत में पहुंचा और उसकी आँखें आश्चर्य से खुली रह गयी , फसल की गांठें अच्छे से बंधी हुई थीं और तिरपाल से ढकी भी थी , उसके गाय -बैल सुरक्षित बंधे हुए थे और मुर्गियां भी अपने दडबों में थीं … बाड़े का दरवाज़ा भी मजबूती से बंधा हुआ था .

सारी चीजें बिलकुल व्यवस्थित थी …नुक्सान होने की कोई संभावना नहीं बची थी.

किसान अब मजदूर की ये बात कि “ जब हवा चलती है तब मैं सोता हूँ ”…समझ चुका था , और अब वो भी चैन से सो सकता था .

हमारी ज़िन्दगी में भी कुछ ऐसे तूफ़ान आने तय हैं , ज़रुरत इस बात की है कि हम उस मजदूर की तरह पहले से तैयारी कर के रखें ताकि मुसीबत आने पर हम भी चैन से सो सकें. जैसे कि यदि कोई विद्यार्थी शुरू से पढ़ाई करे तो परीक्षा के समय वह आराम से रह सकता है,

हर महीने बचत करने वाला व्यक्ति पैसे की ज़रुरत पड़ने पर निश्चिंत रह सकता है, इत्यादि.

चलिए हम भी कुछ ऐसा करें कि कह सकें – ” जब हवा चलती है तो मैं सोता हूँ

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