विश्वास ही सत्य है।

कबीर बैदु मूआ रोगी मूआ मूआ सभु संसारु ॥
एकु कबीरा ना मूआ जिह नाही रोवनहारु ॥

 

एक बार एक व्यक्ति नाई की दुकान पर अपने बाल कटवाने गया। नाई और उस व्यक्ति के बीच में ऐसे ही बातें शुरू हो गई और वे लोग बातें करते-करते “ईश्वर” के विषय पर बातें करने लगे।

तभी नाई ने कहा- “मैं ईश्वर के अस्तित्व को नहीं मानता और इसीलिए तुम मुझे नास्तिक भी कह सकते हो।”

व्यक्ति ने पूछा- “तुम ऐसा क्यों कह रहे हो। नाई ने कहा- “बाहर जब तुम सड़क पर जाओगे तो तुम समझ जाओगे कि ईश्वर का अस्तित्व नहीं है।

अगर ईश्वर होते, तो क्या इतने सारे लोग भूखे मरते ? क्या इतने सारे लोग बीमार होते ? क्या दुनिया में इतनी हिंसा होती ? क्या कष्ट या पीड़ा होती ? मैं ऐसे निर्दयी ईश्वर की कल्पना नहीं कर सकता जो इन सब की अनुमति दे।”

व्यक्ति ने थोड़ा सोचा लेकिन वह वाद-विवाद नहीं करना चाहता था इसलिए चुप रहा और नाई की बातें सुनता रहा।

नाई ने अपना काम खत्म किया और वह व्यक्ति नाई को पैसे देकर दुकान से बाहर आ गया।
वह जैसे ही नाई की दुकान से निकला, उसने सड़क पर एक लम्बे-घने बालों वाले एक व्यक्ति को देखा जिसकी दाढ़ी भी बढ़ी हुई थी और ऐसा लगता था शायद उसने कई महीनों तक अपने बाल नहीं कटवाए थे।

वह व्यक्ति वापस मुड़कर नाई की दुकान में दुबारा घुसा और उसने नाई से कहा- “क्या तुम्हें पता है ? नाइयों का अस्तित्व नहीं होता।”

नाई ने कहा- “तुम कैसी बेकार बातें कर रहे हो ? क्या तुम्हें मैं दिखाई नहीं दे रहा ? मैं यहाँ हूँ और मैं एक नाई हूँ।

और मैंने अभी-अभी तुम्हारे बाल काटे हैं।” व्यक्ति ने कहा- “नहीं ! नाई नहीं होते हैं।

अगर होते तो क्या बाहर उस व्यक्ति के जैसे कोई भी लम्बे बाल व बढ़ी हुई दाढ़ी वाला होता ?”

नाई ने कहा- “अगर वह व्यक्ति किसी नाई के पास बाल कटवाने जाएगा ही नहीं तो नाई कैसे उसके बाल काटेगा ?”

व्यक्ति ने कहा- “तुम बिल्कुल सही कह रहे हो, यही बात है। ईश्वर भी होते हैं। लेकिन कुछ लोग ईश्वर पर विश्वास ही नहीं करते तो ईश्वर उनकी मदद कैसे करेंगे ?”

विश्वास ही सत्य है। अगर ईश्वर पर विश्वास करते हैं तो हमें हर पल उनकी अनुभूति होती है और अगर हम विश्वास नहीं करते तो हमारे लिए उनका कोई अस्तित्व नहीं है।

 

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