नह किछु जनमै नह किछु मरै ॥
आपन चलितु आप ही करै ॥
हम कई बार अपना सुख दुसरो के अंदर ढूंढते रहते हैं, पर ऐसा करने से हमें सुख नहीं मिलता है, अगर हम दुसरो में अपना सुख देखने के बजाय खुद अपने आप में देखे, अपने खुद के गिरेबान में झांके तो हमें सुख अवश्य मिलता है।
एक समय की बात है, एक यात्री एक ट्रेन में सफर कर रहा था। उसके साथ एक पोटली थी जिसमें कीमती हीरे रखे गए थे। उस यात्री को दो दिन और दो रात ट्रेन में गुजारने थे। उस यात्री को इतना सारा सफर करके कही पहुंचना था।
सफर के पहले ही दिन एक चोर की नजर उस यात्री के हीरो की पोटली पर पड़ गयी। अब चोर ने दिमाग लगाया और एक बड़ा सा बैग लेकर उसे यात्री के पास जाकर बैठ गया, और उस यात्री से मीठी-मीठी बातें करने लगा।
चोर ने सोचा की रात में जब सब सो जाएंगे, तो मैं चुपके से उठकर उन हीरे को चुरा लूंगा। ये सब सोचकर वो चोर बहुत खुश होने लगा।
जब शाम का वक्त हुआ 6 या 7 बज रहे थे, तब चोर सो गया, क्योकि उसे रात में जागना था और हीरे चुराने थे, इसलिए ही वो जल्दी से सो जाता है।
जब उस यात्री का सोने का वक्त आया तो उसने चुपके से अपने हीरो की पोटली अपने बैग में से निकाल कर, उसके पास जो आदमी सोया था यानि की जो चोर था उसके बैग में डाल दी। यह सब करने के बाद वह यात्री आराम से सो गया।
रात के जब दो-तीन बज रहे थे, तब वो चोर उठा और उसने देखा सब लोग सो गए हैं। फिर उसने, उस यात्री के बैग को अपनी तरफ खींचा और उस बैग को पूरा अच्छी तरह से जाँचा पर उसे उस बैग में कुछ नहीं मिला।
चोर परेशान हो गया, लेकिन पूरी रात जाँच करने के बावजूद भी उसे कुछ नहीं मिला। तब उसने देखा कि सुबह के 4 बज रहे थे, तब वह फिर से सो गया।
उसके सोने के बाद वह यात्री उठा, उसने अपने हीरो की पोटली उस चोर के बैग से निकालकर अपने बैग में वापस रख दी।
जब सुबह हुई और वो चोर सो कर उठा, तो उसने देखा कि हीरो की पोटली तो उस यात्री के पास ही है, उसे लगा कि मेने रात में कुछ गड़बड़ कि है। शायद उस यात्री के बैग को अच्छे से चेक नहीं किया। उसने फिर से Plan बनाया, कि इस रात बैग को अच्छे से जाँच करेगा।
चोर फिर से शाम होती ही 7 बजे जल्दी से सो गया और उस यात्री ने फिर से अपने हीरो की पोटली को अपने बैग से निकाल कर, उस चोर के बैग में डाल दी।
चोर रात में फिर से उठा, उस यात्री के बैग को खिंचा, फिर से ढूंढने लगा, लेकिन इस बार भी चोर को हीरे नहीं मिले।
वह परेशान होकर फिर से सो गया। वह यात्री सुबह के 5 बजे उठा अपने हीरो की पोटली को चोर की बैग से निकाल कर, अपने बैग में वापस डाल दिया।
जब सुबह हुई स्टेशन आया वह यात्री स्टेशन पर उतरा, तो चोर उसके पास आकर कहने लगा, मैं जिंदगी में कभी भी चोरी नहीं करूंगा, बस मुझे इतना बता दो की हीरो की पोटली आपने कहाँ रखी थी?
उस यात्री ने कहा अरे मूर्ख! तू अपना सुख दूसरों की तरफ ढूंढ रहा था अगर तू खुद के अंदर देखता तो तुझे सुख जरूर मिलता। अगर तू अपने गिरेबान में झांकता, तो तुझे पता चलता कि तू चोर नहीं, बल्कि तू तो मालिक था। वो हीरो की पोटली तेरे ही पास थी!
हम भी इस चोर की तरह कई बार हमारा सुख दूसरों की तरफ ढूंढ रहे होते है, और ऐसा करने से हमें कुछ नहीं मिलता है। अगर हम दुसरो की तरफ देखने के बजाय अपने खुद के अंदर झांके तो हमें कभी ही किसी भी चीज़ की कमी महसूस नहीं होगी।