शैतान

वैदु बुलाइआ वैदगी पकड़ि ढंढोले बांह ॥
भोला वैदु न जाणई करक कलेजे माहि ॥

एक गधा पेड़ से बंधा हुआ था।

शैतान आया और उसने उस गधे की रस्सी खोल दी।

वो गधा खेत में घुसा और उधम मचाना शुरू किया।

उस खेत के मालिक की बीवी ने उस गधे को बंदूक चला कर धराशाई कर दिया।

गधे के मालिक को ये देख कर प्रकोपकारी गुस्सा आ गया। उसने बड़ा सा पत्थर उस खेत के मालिक के बीवी के सिर में डाल कर उसे ढेर कर दिया।

खेत का मालिक घर आया, अपनी बीवी को खून से लथपथ देख कर उसने उस गधे के मालिक को मार डाला।

अब गधे के मालिक की बीवी ने अपने बच्चो को उस किसान के घर को आग लगाने का कहा।रात के अंधेरे में उस किसान के बचने के कोई आसार नहीं रहेंगे इस खुशी में वो दोनो बच्चे घर आए।

पर उस आग में से को किसान बच गया और घर आ कर उसने उस गधे के मालिक की बीवी बच्चो को गोली से उड़ा दिया।

जेल की सलाखों के पीछे अपना पूरा घर परिवार, पड़ोसी, जमीन जायदाद सब खो चुका किसान सोच में पड़ा रहा। उसने शैतान से पूछा, ये सब कैसे हुआ?

शैतान बोला,” मैंने कुछ भी नहीं किया इस बार, मैंने सिर्फ गधे को संखल से मुक्त किया। तुम उस पर क्रिया प्रतिक्रिया करते रहे और अपने अंदर के शैतान को मुक्त किया।”

तो अब किसी बात का जवाब देते वक्त, प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, किसी को कुछ जानकारी देते हुए, बदला लेते हुए, किसी को कोसते हुए….., रुकिए और विचार कीजिए।

खयाल रखिए, क्युकी आज कल शैतान क्या करता है….कुछ भी नहीं करता, वो सिर्फ आप के अंदर के गधे की सांखल खोलता है।

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