परिश्रम और सफलता

कबीर सूता किआ करहि बैठा रहु अरु जागु ॥
जा के संग ते बीछुरा ता ही के संगि लागु ॥

क्या?? भैया ये तो रोज तुम्हे बेबकूब बना कर चला जाता है। आप को अपने दुकान पर ध्यान देना चाहिए,उसे एक आदमी बोलता है, जिस पर वह दुकानदार हंसने लगता है।

मेरे घर से करीब एक किलोमीटर कि दूरी पर एक समोसे बेचने वाला का दुकान था। मै जब भी ऑफिस जाता है तो उसके समोसे जरूर खाता था। उसके समोसे की बात ही अलग थी, क्युकी वह अपने समोसे में पनीर डाला करता था जिस कारण से उसका स्वाद और भी बढ़ जाता था।

शायद यही कारण था जिस बजे से उसके दुकान पर हमेशा भीड़ लगा रहता था। मेरी डेली का रूटीन था उसके वहाँ से ऑफिस जाते और आते हमेशा समोसे खाता था।

मैने देखा कि उसके दुकना पर एक आदमी रोज आता है और समोसे खाता था और बीन पैसे दी चला जाता था। पहले तो मुझे लगा शायद उसे भूख लगी होगी और उसके पास पैसे नहीं होगी,इस कारण से बीन पैसे दिये चल गया होगा।

लेकिन यह आदमी हर रोज ऐसा ही करता था । मुझ से रहा नहीं गया और एक दिन मैंने दुकान के मालिक से कहा,”आप के दुकान पर एक आदमी रोज आता है। समोसे खाता है और बीन पैसे दिए चला जाता है।

इस पर वह आदमी कहता है,”आप पहले इंसान नहीं है जो आप मुझे यह बता रहे है। इस से पहले भी कई लोगो ने मुझे उस आदमी के बारे में बताया है। इस पर मैंने कहा,”आप उसे पकड़ते क्यों नहीं है??

एक दिन मैंने(दुकानदार) उसका पीछा किया ताकि मुझे पता तो चले आख़री यह आदमी ऐसा क्यों करता है?? तो मैने देखा कि यह आदमी खाना खाने के बाद मंदिर जाता और भगवान से प्रथना करता कि आज दुकान में ज्यादा भीड़ हो ताकि मै आराम से समोसा खा सकू।

यह देख में वहा से लौट कर दुकान चला आया,उस दिन से मैंने भी उस आदमी को देखे हुए भी अनदेखा कर दिया करता था।

जीवन में हमें कभी भी अपने परिश्रम और सफलता पर घमंड नहीं करना चाहिए, क्योंकि हमारी सफलता में कई बार दूसरों की प्रार्थनाएँ और परिस्थितियाँ भी योगदान देती हैं। जिस चीज़ को हम केवल अपने प्रयास का परिणाम मानते हैं, वह कभी-कभी किसी और की दुआओं और इच्छाओं का परिणाम हो सकती है। इसलिए, हमें सदैव विनम्र रहना चाहिए और दूसरों की भावनाओं और हालात को समझने का प्रयास करना चाहिए।

 

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