अंतु न सिफती कहणि न अंतु ॥ अंतु न करणै देणि न अंतु…

अंतु न सिफती कहणि न अंतु ॥ अंतु न करणै देणि न अंतु ॥
अंतु न वेखणि सुणणि न अंतु ॥ अंतु न जापै किआ मनि मंतु ॥

 

  1. अंतु न सिफती कहणि न अंतु: ईश्वर की महिमा का कोई अंत नहीं है। उसकी प्रशंसा और गुणगान का कोई अंत नहीं है।
  2. अंतु न करणै देणि न अंतु: उसकी देने की शक्ति और उसके कार्यों का कोई अंत नहीं है।
  3. अंतु न वेखणि सुणणि न अंतु: उसकी दृष्टि, उसकी सुनने की शक्ति का भी कोई अंत नहीं है।
  4. अंतु न जापै किआ मनि मंतु: उसके मन की गहराई और उसकी सोच को समझ पाना संभव नहीं है।

यह पंक्तियाँ बताती हैं कि ईश्वर अनंत है। उसकी महिमा, शक्ति, दृष्टि, और विचारों का कोई अंत नहीं है। वह हर चीज में व्याप्त है और उसकी समझ से परे है।

विभिन्न संदर्भों में इन पंक्तियों का विश्लेषण:

करियर और आर्थिक स्थिरता

करियर और आर्थिक स्थिरता के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ सिखाती हैं कि हमारे जीवन में ईश्वर की महिमा और कृपा की कोई सीमा नहीं है। चाहे हम कितनी भी ऊँचाई पर पहुँच जाएं, हमें यह समझना चाहिए कि हमारी सफलता और स्थिरता ईश्वर की असीम कृपा का परिणाम है। उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति जो अपने करियर में सफल हो चुका है, उसे यह समझना चाहिए कि उसकी सफलता ईश्वर की असीम कृपा का परिणाम है और उसकी कृपा का कोई अंत नहीं है।

स्वास्थ्य और भलाई

स्वास्थ्य और भलाई के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ बताती हैं कि हमारे स्वास्थ्य और जीवन की भलाई में भी ईश्वर की कृपा का कोई अंत नहीं है। ईश्वर की दृष्टि और उसकी सुनने की शक्ति असीमित है। हमें अपने अच्छे स्वास्थ्य के लिए ईश्वर का आभार मानना चाहिए, क्योंकि उसकी कृपा अनंत है। उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति जो स्वस्थ जीवन जी रहा है, उसे यह समझना चाहिए कि उसका अच्छा स्वास्थ्य ईश्वर की असीम कृपा का परिणाम है।

पारिवारिक ज़िम्मेदारियाँ

पारिवारिक ज़िम्मेदारियों के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ सिखाती हैं कि परिवार की भलाई और सुरक्षा भी ईश्वर की असीम कृपा पर निर्भर करती है। ईश्वर की शक्ति और उसकी दृष्टि असीमित है। हमें अपने परिवार की भलाई के लिए ईश्वर का आभार मानना चाहिए। उदाहरण के लिए, एक माता-पिता जो अपने बच्चों की देखभाल के लिए हर संभव प्रयास करते हैं, उन्हें यह समझना चाहिए कि उनकी सारी कोशिशें ईश्वर की असीम कृपा के बिना अधूरी हैं।

आध्यात्मिक नेतृत्व

आध्यात्मिक नेतृत्व के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ बताती हैं कि एक सच्चे आध्यात्मिक नेता को यह समझना चाहिए कि ईश्वर की महिमा और ज्ञान का कोई अंत नहीं है। उसकी समझ और शक्ति असीमित है। गुरु और शिष्य दोनों को ही ईश्वर की असीम महिमा का ध्यान रखना चाहिए। उदाहरण के लिए, एक गुरु जो अपने शिष्यों को सिखाता है, उसे अपनी सीमाओं को समझते हुए, ईश्वर की असीम कृपा का आभार मानना चाहिए।

परिवार और रिश्तों की गतिशीलता

परिवार और रिश्तों की गतिशीलता के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ सिखाती हैं कि रिश्तों की स्थिरता और सफलता भी ईश्वर की असीम कृपा पर निर्भर करती है। ईश्वर की दृष्टि और उसकी कृपा असीमित है। हमें अपने रिश्तों में सच्चाई और प्रेम बनाए रखना चाहिए, और साथ ही ईश्वर की असीम कृपा का भी ध्यान रखना चाहिए। उदाहरण के लिए, एक दंपति जो अपने रिश्ते को मजबूत करना चाहता है, उन्हें यह समझना चाहिए कि उनकी सफलता के पीछे ईश्वर की असीम कृपा भी शामिल है।

व्यक्तिगत पहचान और विकास

व्यक्तिगत पहचान और विकास के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ बताती हैं कि आत्म-विकास और पहचान की गहराई भी ईश्वर की असीम कृपा का परिणाम है। हमें अपने आत्म-विकास के लिए ईश्वर का आभार मानना चाहिए, क्योंकि उसकी कृपा का कोई अंत नहीं है। उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति जो अपने कौशल और ज्ञान को बढ़ाने का प्रयास कर रहा है, उसे यह समझना चाहिए कि उसका आत्म-विकास ईश्वर की असीम कृपा के बिना अधूरा है।

स्वास्थ्य और सुरक्षा

स्वास्थ्य और सुरक्षा के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ सिखाती हैं कि हमारी सुरक्षा और स्वास्थ्य भी ईश्वर की असीम कृपा पर निर्भर करते हैं। चाहे हम कितनी भी कोशिश करें, वास्तविक सुरक्षा और भलाई ईश्वर की कृपा से ही प्राप्त होती है। उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति जो अपनी सुरक्षा के लिए सतर्क रहता है, उसे यह समझना चाहिए कि उसकी सफलता ईश्वर की असीम कृपा के बिना अधूरी है।

विभिन्न भूमिकाओं का संतुलन

विभिन्न भूमिकाओं का संतुलन बनाए रखने के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ बताती हैं कि जीवन की विभिन्न भूमिकाओं में संतुलन बनाए रखना भी ईश्वर की असीम कृपा पर निर्भर करता है। चाहे हम कितनी भी कोशिश करें, संतुलन की वास्तविकता ईश्वर की असीम कृपा से ही प्राप्त होती है। उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति जो काम, परिवार और समाज के बीच संतुलन बनाए रखता है, उसे यह समझना चाहिए कि उसकी सफलता ईश्वर की असीम कृपा के बिना अधूरी है।

मासूमियत और सीखना

मासूमियत और सीखने के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ सिखाती हैं कि सीखने की प्रक्रिया और मासूमियत की गहराई भी ईश्वर की असीम कृपा का परिणाम है। चाहे हम कितनी भी कोशिश करें, वास्तविक ज्ञान और मासूमियत ईश्वर की कृपा से ही प्राप्त होते हैं। उदाहरण के लिए, एक बच्चा जो सीखने के लिए उत्सुक है, उसे यह समझना चाहिए कि उसकी सफलता ईश्वर की असीम कृपा के बिना संभव नहीं है।

पारिवारिक और पर्यावरणीय प्रभाव

पारिवारिक और पर्यावरणीय प्रभाव के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ बताती हैं कि हमारे परिवार और पर्यावरण की भलाई भी ईश्वर की असीम कृपा पर निर्भर करती है। चाहे हम कितनी भी योजनाएँ बनाएं, वास्तविक सफलता ईश्वर की असीम कृपा से ही होती है। उदाहरण के लिए, एक परिवार जो पर्यावरण की सुरक्षा के प्रति सचेत रहता है, उसे यह समझना चाहिए कि उसकी सफलता ईश्वर की असीम कृपा के बिना अधूरी है।

दोस्ती और सामाजिक स्वीकृति

दोस्ती और सामाजिक स्वीकृति के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ सिखाती हैं कि समाज में स्वीकृति और दोस्ती प्राप्त करने का कोई अंत नहीं है, अगर हम अपने जीवन में ईश्वर की कृपा को भूल जाते हैं। चाहे हम कितनी भी कोशिश करें, वास्तविक स्वीकृति और सफलता ईश्वर की असीम कृपा से ही मिलती है। उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति जो समाज में अच्छे संबंध बनाता है, उसे यह समझना चाहिए कि उसकी सफलता ईश्वर की असीम कृपा के बिना संभव नहीं है।

बौद्धिक संदेह

बौद्धिक संदेह के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ बताती हैं कि हमारे बौद्धिक संदेहों का समाधान और ज्ञान भी ईश्वर की असीम कृपा पर निर्भर करता है। चाहे हम कितनी भी कोशिश करें, वास्तविक समाधान और ज्ञान ईश्वर की असीम कृपा से ही मिलते हैं। उदाहरण के लिए, एक विद्यार्थी जो अपने संदेहों को दूर करने के लिए सही शिक्षा और ज्ञान का अनुसरण करता है, उसे यह समझना चाहिए कि उसकी सफलता ईश्वर की असीम कृपा के बिना संभव नहीं है।

भावनात्मक उथल-पुथल

भावनात्मक उथल-पुथल के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ सिखाती हैं कि हमारी भावनात्मक शांति और स्थिरता भी ईश्वर की असीम कृपा पर निर्भर करती है। चाहे हम कितनी भी कोशिश करें, वास्तविक स्थिरता ईश्वर की कृपा से ही मिलती है। उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति जो जीवन में नैतिकता और सच्चाई का पालन करता है, उसे यह समझना चाहिए कि उसकी सफलता ईश्वर की असीम कृपा के बिना अधूरी है।

सांस्कृतिक आदान-प्रदान

सांस्कृतिक आदान-प्रदान के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ बताती हैं कि हमारे सांस्कृतिक संबंधों में सद्भाव और सहयोग का कोई अंत नहीं है, अगर हम अपने जीवन में ईश्वर की असीम कृपा को भूल जाते हैं। चाहे हम कितनी भी कोशिश करें, वास्तविक सद्भावना ईश्वर की कृपा से ही मिलती है। उदाहरण के लिए, एक समाज जो अन्य संस्कृतियों के साथ सद्भावना और सहयोग को बढ़ावा देता है, उसे यह समझना चाहिए कि उसकी सफलता ईश्वर की असीम कृपा के बिना अधूरी है।

रिश्तों का प्रभाव

रिश्तों के प्रभाव के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ सिखाती हैं कि हमारे रिश्तों की सफलता और स्थिरता का कोई अंत नहीं है, अगर हम अपने जीवन में ईश्वर की असीम कृपा को भूल जाते हैं। चाहे हम कितनी भी कोशिश करें, वास्तविक सफलता ईश्वर की असीम कृपा से ही मिलती है। उदाहरण के लिए, एक दंपति जो एक-दूसरे के साथ सच्चाई और प्रेम का पालन करता है, उन्हें यह समझना चाहिए कि उनकी सफलता ईश्वर की असीम कृपा के बिना संभव नहीं है।

सत्य की खोज

सत्य की खोज के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ बताती हैं कि सत्य की प्राप्ति और उसकी गहराई का कोई अंत नहीं है, अगर हम अपने जीवन में ईश्वर की असीम कृपा को भूल जाते हैं। चाहे हम कितनी भी कोशिश करें, वास्तविक सत्य ईश्वर की असीम कृपा से ही मिलता है। उदाहरण के लिए, एक साधु जो आत्मज्ञान की तलाश में है, उसे यह समझना चाहिए कि उसकी सफलता ईश्वर की असीम कृपा के बिना अधूरी है।

धार्मिक संस्थानों से निराशा

धार्मिक संस्थानों से निराशा के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ सिखाती हैं कि धार्मिक निराशा का समाधान और उसकी गहराई का कोई अंत नहीं है, अगर हम अपने जीवन में ईश्वर की असीम कृपा को भूल जाते हैं। चाहे हम कितनी भी कोशिश करें, वास्तविक समाधान ईश्वर की असीम कृपा से ही मिलता है। उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति जो धार्मिक संस्थानों से निराश है, उसे यह समझना चाहिए कि उसकी सफलता ईश्वर की असीम कृपा के बिना अधूरी है।

व्यक्तिगत पीड़ा

व्यक्तिगत पीड़ा के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ बताती हैं कि हमारी पीड़ा का समाधान और उसकी गहराई का कोई अंत नहीं है, अगर हम अपने जीवन में ईश्वर की असीम कृपा को भूल जाते हैं। चाहे हम कितनी भी कोशिश करें, वास्तविक समाधान ईश्वर की असीम कृपा से ही मिलता है। उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति जो जीवन में कठिनाइयों का सामना कर रहा है, उसे यह समझना चाहिए कि उसकी सफलता ईश्वर की असीम कृपा के बिना संभव नहीं है।

अनुभवजन्य अन्याय

अनुभवजन्य अन्याय के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ सिखाती हैं कि अन्याय का सामना करने और उसका समाधान पाने की गहराई और वास्तविकता का कोई अंत नहीं है, अगर हम अपने जीवन में ईश्वर की असीम कृपा को भूल जाते हैं। चाहे हम कितनी भी कोशिश करें, वास्तविक समाधान ईश्वर की असीम कृपा से ही मिलता है। उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति जो अन्याय का शिकार हुआ है, उसे यह समझना चाहिए कि उसकी सफलता ईश्वर की असीम कृपा के बिना अधूरी है।

दार्शनिक अन्वेषण

दार्शनिक अन्वेषण के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ बताती हैं कि आत्म-ज्ञान और दार्शनिक अन्वेषण की गहराई और वास्तविकता का कोई अंत नहीं है, अगर हम अपने जीवन में ईश्वर की असीम कृपा को भूल जाते हैं। चाहे हम कितनी भी कोशिश करें, वास्तविक आत्म-ज्ञान ईश्वर की असीम कृपा से ही मिलता है। उदाहरण के लिए, एक दार्शनिक जो आत्मज्ञान की तलाश में है, उसे यह समझना चाहिए कि उसकी सफलता ईश्वर की असीम कृपा के बिना अधूरी है।

विज्ञान और तर्क

विज्ञान और तर्क के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ सिखाती हैं कि वैज्ञानिक और तर्कसंगत दृष्टिकोण की गहराई और वास्तविकता का कोई अंत नहीं है, अगर हम अपने जीवन में ईश्वर की असीम कृपा को भूल जाते हैं। चाहे हम कितनी भी कोशिश करें, वास्तविक वैज्ञानिक समाधान ईश्वर की असीम कृपा से ही मिलता है। उदाहरण के लिए, एक वैज्ञानिक जो जीवन के रहस्यों का अध्ययन कर रहा है, उसे यह समझना चाहिए कि उसकी सफलता ईश्वर की असीम कृपा के बिना अधूरी है।

धार्मिक घोटाले

धार्मिक घोटालों के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ बताती हैं कि धार्मिक घोटालों का समाधान और उनकी गहराई का कोई अंत नहीं है, अगर हम अपने जीवन में ईश्वर की असीम कृपा को भूल जाते हैं। चाहे हम कितनी भी कोशिश करें, वास्तविक समाधान ईश्वर की असीम कृपा से ही मिलता है। उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति जो धार्मिक घोटालों का शिकार हुआ है, उसे यह समझना चाहिए कि उसकी सफलता ईश्वर की असीम कृपा के बिना अधूरी है।

अपेक्षाओं की पूर्ति नहीं होना

अपेक्षाओं की पूर्ति नहीं होने के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ सिखाती हैं कि उम्मीदों के पूरा न होने की गहराई और वास्तविकता का कोई अंत नहीं है, अगर हम अपने जीवन में ईश्वर की असीम कृपा को भूल जाते हैं। चाहे हम कितनी भी कोशिश करें, वास्तविक सफलता ईश्वर की असीम कृपा से ही मिलती है। उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति जो अपनी उम्मीदों में असफल हुआ है, उसे यह समझना चाहिए कि उसकी सफलता ईश्वर की असीम कृपा के बिना अधूरी है।

सामाजिक दबाव

सामाजिक दबाव के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ बताती हैं कि सामाजिक दबाव का सामना करने और मानसिक शांति बनाए रखने की गहराई और वास्तविकता का कोई अंत नहीं है, अगर हम अपने जीवन में ईश्वर की असीम कृपा को भूल जाते हैं। चाहे हम कितनी भी कोशिश करें, वास्तविक शांति ईश्वर की असीम कृपा से ही मिलती है। उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति जो समाज के दबाव में है, उसे यह समझना चाहिए कि उसकी सफलता ईश्वर की असीम कृपा के बिना अधूरी है।

व्यक्तिगत दृढ़ विश्वास

व्यक्तिगत दृढ़ विश्वास के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ सिखाती हैं कि आत्म-विश्वास और दृढ़ विश्वास की गहराई और वास्तविकता का कोई अंत नहीं है, अगर हम अपने जीवन में ईश्वर की असीम कृपा को भूल जाते हैं। चाहे हम कितनी भी कोशिश करें, वास्तविक आत्म-विश्वास ईश्वर की असीम कृपा से ही मिलता है। उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति जो अपने विश्वास में अडिग रहता है, उसे यह समझना चाहिए कि उसकी सफलता ईश्वर की असीम कृपा के बिना अधूरी है।

जीवन के परिवर्तन

जीवन के परिवर्तन के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ बताती हैं कि जीवन के परिवर्तनों का सामना करने और उनका समाधान पाने की गहराई और वास्तविकता का कोई अंत नहीं है, अगर हम अपने जीवन में ईश्वर की असीम कृपा को भूल जाते हैं। चाहे हम कितनी भी कोशिश करें, वास्तविक समाधान ईश्वर की असीम कृपा से ही मिलता है। उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति जो जीवन में बदलाव का सामना कर रहा है, उसे यह समझना चाहिए कि उसकी सफलता ईश्वर की असीम कृपा के बिना अधूरी है।

अस्तित्व संबंधी प्रश्न

अस्तित्व संबंधी प्रश्नों के संदर्भ में, यह पंक्तियाँ सिखाती हैं कि अस्तित्व के प्रश्नों का समाधान और मानसिक शांति की गहराई और वास्तविकता का कोई अंत नहीं है, अगर हम अपने जीवन में ईश्वर की असीम कृपा को भूल जाते हैं। चाहे हम कितनी भी कोशिश करें, वास्तविक समाधान ईश्वर की असीम कृपा से ही मिलता है। उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति जो अपने अस्तित्व के बारे में सोचता है, उसे यह समझना चाहिए कि उसकी सफलता ईश्वर की असीम कृपा के बिना अधूरी है।

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